देशभर में किए गए लॉकडाउन से सरकार को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है। तीन सप्ताह के लॉकडाउन में हवाई जहाज से लेकर गाड़ियों का परिचालन बिल्कुल बंद है। इससे सरकार को करीब 16 हजार करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। वर्तमान समय में सरकार पेट्रोल पर 22.98 रुपये और डीजल पर 18.83प्रति लीटर उत्पाद शुल्क वसूलती है। भारत में प्रति महीने 3.4 अरब लीटर पेट्रोल और 8.3 अरब लीटर डीजल की खपत होती है।

वहीं गुरुवार यानी 2 अप्रैल 2020 को पेट्रोल और डीजल दोनों के रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ। आज पेट्रोल का रेट 69.59 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर रहा। वहीं, डीजल का रेट भी 62.29 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर रहा। इंडियन ऑयल (Indian Oil) की वेबसाइट के मुताबिक 26 मार्च 2020 को दिल्ली (Delhi), मुंबई (Mumbai), कोलकाता (Kolkata) और चेन्नई (Chennai) में डीजल और पेट्रोल के रेट इस प्रकार रहे..

शहर पेट्रोल (रुपये/लीटर) डीजल (रुपये/लीटर)
दिल्ली 69.59 62.29
मुंबई 75.3 65.21
कोलकाता 72.29 64.62
चेन्नई 72.28 65.71

रिफाइनरी कंपनियों ने अपना उत्पादन घटाया

देश में पेट्रोल-डीजल का मांग में भारी कमी आने के बाद रिफाइनरी कंपनियों ने अपना उत्पादन घटा दिया है। ऑयल रिफाइनरी कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने नाफ्था क्रैकर प्लांट की क्षमता को 30 से 40 फीसदी तक कम कर दिया है। दक्षिण भारत स्थिति मैंगलोर रिफाइनरीज एंड पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड ने ती लाख बैरल प्रति दिन की रिफाइनिंग क्षमता को बंद कर दिया है।

यह भी पढ़ें:  उत्तर प्रदेश के युवक ने खांसी जुखाम को कोरोना समझ डर से कर ली आत्महत्या

लॉकडाउन के चलते देश में पेट्रोल-डीजल की मांग में भारी कमी आई है। इसके देखते हुए तेल उत्पादक कंपनियों ने कच्चे तेल का आयात बंद करने का फैसला लिया है। वहीं, ओपेक देशों के साथ रूस के तालमेल न बैठ पाने की वजह से सऊदी अरब ने प्राइस वॉर छेड़ दी है जिसकी वजह से क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी कटौती हुई है। लेकिन इसका फायदा देसी कंपनियां नहीं ले पा रही हैं क्योंकि मांग नहीं होने से आयात करने का कोई मतलब नहीं है।वहीं, उत्पादन गिरने से नुकसान हो रहा है।

यह भी पढ़ें: विशेष खबर: प्रधानमंत्री मोदी कल सुबह 9 बजे देशवासियों के नाम साझा करेंगे Video संदेश

कोरोना वायरस की वजह से ऑयल और गैस की कम कीमतों का भी उपभोक्ता फायदा नहीं उठा पा रहे हैं और सीधा असर इस सेक्टर से पैदा होने वाले राजस्व पर भी पड़ रहा है। हाल ही सरकार द्वारा बढ़ाए गए दामों का भी कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है क्योंकि लॉकडाउन के चलते सड़कों पर सन्नाटा पसरा है और तमाम व्यवस्थाओं पर रोक लगा है।

राज्य सरकारों को भी भारी नुकसान

पेट्रोल-डीजल की मांग घटने से सिर्फ केंद्र सरकार को ही नहीं बल्कि राज्य सरकारों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उदाहरण के लिए दिल्ली सरकार पेट्रोल पर 14.79 रुपये और डीजल पर 9.19 रुपये प्रति लीटर वैट वसूलती है। एक अनुमान के मुताबिक, पेट्रोलियम उत्पाद के प्राप्त कर राज्य सरकारों के राजस्व का लगभग 30% हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, पेट्रोलियम उत्पाद के जरिये राज्यों सरकार के लिए कर संग्रह बढ़ाना बहुत ही आसान होता है। इसलिए सभी राज्य सरकारें अपने अनुसार वैट की दर तय करती हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here