Barman pouring hard spirit into glasses in detail

चार मई से देश में लॉकडाउन का तीसरा चरण शुरू हो चुका है। लॉकडाउन के दौरान कई राज्य सरकारों ने शराब की दुकानें खोलने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया था। कई राज्य शराब की होम डिलिवरी करने को भी तयार थे। लॉकडाउन में कितनी प्रभावित हुई शराब से राज्यों की कमाई? यहां जानें पूरा गणित । देश में पहले और दूसरे लॉकडाउन के दौरान शराब की बिक्री भी बंद थी, जिसकी वजह से रोजाना करीब 700 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आज से लॉकडाउन 3.0 में कुछ शराब की दुकानें खुल रही हैं, जिससे एक बार फिर ये आय शुरू हो सकेगी।

दरअसल कई राज्यों की 15-30 फीसदी आय शराब से ही होती है। शराब से राज्यों को 2019 में करीब 2.48 लाख करोड़ रुपये, 2018 में 2.17 लाख करोड़ रुपये और 2017 में 1.99 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई थी। यानी 2019 के आंकड़ों के अनुसार, लॉकडाउन के पहले और दूसरे चरण में 40 दिनों के दौरान राज्यों को शराब से औसतन करीब 27 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। लॉकडाउन में एक दिन में राज्यों को औसतन करीब 679 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

बाजार शोध संस्था यूरोमेंटल इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में भारत में शराब उद्योग कारोबार लगभग दोगुना हुआ है। 20 से 25 वर्षों तक के युवा व्हिस्की और वोदका जैसे अलकोहल का सेवन अधिक कर रहे हैं।

शराब की खपत
भारत में शराब की खपत 2008 में 16,098 लाख लीटर से बढ़कर 2018 में 27,382 लाख लीटर हो गई है। इसमें बीयर और वाइन के आंकड़े शामिल नहीं हैं।

बीयर की खपत
पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, बीयर और वाइन की खपत सबसे अधिक बढ़ी है। साल 2008 में बीयर की खपत 10,000 लाख लीटर थी, जो 2018 में 24,250 लाख लीटर हो गई है। मतलब एक दशक में बीयर की खपत 142 फीसदी बढ़ी है।

वाइन की खपत
बीयर की ही तरह वाइन की खपत भी काफी बढ़ी है। 2008 में जहां भारत में 113 लाख लीटर वाइन की खपत होती थी, वो 2018 में यह बढ़कर 307 लाख लीटर हो गई। बीते 10 सालों में वाइन की खपत में 172 फीसदी की बढ़त हुई है।

वोदका की खपत
भारतीय युवाओं के बीच वोदका काफी प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इसकी खपत में 122 फीसदी का इजाफा हुआ है। साल 2008 में भारत में 362 लाख लीटर वोदका की खपत हुई थी, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 803 लाख लीटर हो गया। यानी एक दशक में वोदका की खपत में 122 फीसदी का इजाफा हुआ है।

ब्रांडी की खपत
बीयर, वाइन और वोदका के मुकाबले ब्रांडी की खपत में इजाफा अन्य के मुकाबले कम हुआ है। 2008 में जहां 2,930 लाख लीटर ब्रांडी की खपत हुई थी, वहीं 2018 में 5,650 लाख लीटर की खपत हुई है। इसमें 92 फीसदी का इजाफा हुआ है।

व्हिस्की की खपत
भारत में व्हिस्की काफी पसंद की जाती है लेकिन पिछले 10 सालों के आंकड़ों पर जाएं तो बीयर, वाइन, वोदका और ब्रांडी की खपत व्हिस्की से ज्यादा बढ़ी है। 2008 में भारत में 9,190 लाख लीटर व्हिस्की की खपत हुई थी, जो 2018 में 16,790 लाख लीटर हुई। एक दशक में इसमें 83 फीसदी की वृद्धि हुई है।

रम की खपत
रम की खपत की बात करें, तो इसमें ज्यादा अंतर नहीं आया है। एक दशक में रम की खपत 17 फीसदी बढ़ी है। 2008 में जहां 3,310 लीटर रम की खपत हुई थी, वहीं 2018 में रम की खपत 3,880 लीटर पर पहुंची।

जिन की खपत
एक ओर जहां बीयर, वाइन, व्हिस्की, रम और वोदका की खपत बढ़ी है, वहीं जिन मात्र ऐसा अलकोहल पेय है, जिसकी खपत घटी है। 2008 में भारत में 304 लाख लीटर जिन की खपत हुई थी, जो 2018 में घटकर 249 लाख लीटर हो गई। इसमें 18 फीसदी की गिरावट आई है।

प्रति व्यक्ति शराब की खपत
वैश्विक स्तर पर साल 1990 में प्रति व्यक्ति सालाना औसतन 5.9 लीटर शराब पी जाती थी, वहीं साल 2017 तक प्रति व्यक्ति सालाना औसतन 6.5 लीटर शराब पी जाती थी। भारत में साल 2017 में प्रति व्यक्ति सालाना औसतन 5.9 लीटर शराब पी गई, जो 1990 में 3.9 लीटर थी।

आठ लाख लीटर बीयर के बर्बाद होने का खतरा
लॉकडाउन में शराब की बिक्री बंद होने से बीयर बनाने वाली 250 छोटी इकाइयों को करीब आठ लाख लीटर ताजी बीयर के बर्बाद होने की चिंता सताने लगी है।

शराब उद्योग के जानकार बताते हैं कि बोतलबंद बीयर की तुलना में ताजी बीयर जल्दी खराब हो जाती है। यही कारण है कि अब लॉकडाउन के तीसरी बार बढ़ने से इनके खराब होने का खतरा और बढ़ गया है। वहीं, नए वित्त वर्ष के शुरू होने के कारण दिल्ली को छोड़ कर अन्य उत्तरी राज्यों में 700 करोड़ रुपये की कीमत वाली भारत निर्मित अंग्रेजी शराब (आईएमएफएल) की करीब 12 लाख बोतलें अटक गई हैं।

क्राफ्ट ब्रेवर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण देश भर में लगभग आठ लाख लीटर ताजी बीयर के स्टोरेज वाले सभी संयंत्र बंद पड़े हैं। ऐसे में अगर जल्द से जल्द कोई समाधान नहीं निकलता है, तो इन्हें भी नालियों में बहाना पड़ जाएगा।

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