लॉकडाउन खुलने के बाद आगरा की हवा में प्रदूषण बढ़ने लगा है। धुआं और धूल ने सांस और अस्थमा मरीजों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। एसएन मेडिकल कॉलेज की ट्राएज ओपीडी में आने वाले मरीजों में आधे से ज्यादा सांस और दमा के मरीज हैं। इनमें कोरोना संक्रमण का खतरा भी सबसे ज्यादा है। अभी तक मिले संक्रमित मरीजों में 25 फीसदी सांस रोगी ही हैं।

एसएन मेडिकल कॉलेज में कोरोना के लक्षण वाले मरीजों के लिए ट्राएज ओपीडी चल रही है। इसमें रोजना 250 से 300 मरीज आ रहे हैं। इनमें सबसे ज्यादा 150 से 170 मरीज सांस की परेशानी के हैं। इनमें 30 से 40 साल की उम्र के भी मरीज हैं।

दो बार की जा रही स्क्रीनिंग
ऐसे मरीजों की दो बार स्क्रीनिंग कराई जा रही है। केस हिस्ट्री पूछी जा रही है, यदि उसमें तीन से चार सवाल हां में मिलते हैं तो उनकी दोबारा स्क्रीनिंग कराई जाती है। इसके बाद इनके कोरोना जांच के लिए नमूने लिए जा रहे हैं। इनमें से 25 फीसदी में कोरोना की पुष्टि हो रही है।

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय काला ने बताया कि लॉकडाउन खुलने के बाद ट्राएज ओपीडी में मरीज बढ़ने लगे हैं। सांस रोगियों को खतरा अधिक है, ऐसे में वह विशेष सावधानी बरतें।
कोरोना से मरने वालों में 25 फीसदी सांस रोगी
कोरोना के संक्रमण से अभी तक 50 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें से 13 मरीज पहले से ही सांस रोग से पीड़ित थे। बाकी के मृतकों में भी संक्रमण के बाद सांस लेने में परेशानी होने लगी।

संक्रमित मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी, लिवर की भी परेशानी मिली। चिकित्सक बताते हैं कि ऐसे रोगी दवाएं बंद न करें, धूल-धुआं वाले क्षेत्रों में जाने से बचें। बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलें।

संदिग्धों से ये प्रश्न पूछे जा रहे हैं

– बुखार रहता है, सूखी खांसी है, सांस फूलती है?
– कहां रहते हो, हॉटस्पॉट एरिया तो नहीं है?
– आसपास किसी को कोरोना तो नहीं हुआ है?
– किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आए हो?
– घर से कितनी बार बाहर निकले, ट्रैवलिंग तो नहीं की?

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