अमेरिका की एक बायोटेक्नोलॉजी कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया में कोरोना वायरस संक्रमण की दवा का इंसानों पर परीक्षण शुरू करने की घोषणा की है। साथ ही कंपनी ने इस महामारी की दवा इसी साल आने की उम्मीद भी जताई है। संक्रमण से जूझ रही दुनिया के लिए यह एक सकारात्मक खबर है।

बायोटेक्नोलॉजी कंपनी ‘नोवावैक्स’ के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. ग्रिगोरी ग्लेन ने बताया कि कंपनी ने पहले चरण का परीक्षण शुरू कर दिया है, जिसमें मेलबोर्न और ब्रिस्बेन शहरों के 131 स्वयंसेवियों पर दवा परीक्षण किया जाएगा। ग्लेन ने ‘नोवावैक्स’ के मैरीलैंड स्थित मुख्यालय में कहा, हम दवा और टीकों का यह सोच कर एक साथ निर्माण कर रहे हैं ताकि, हम दिखा पाएं कि यह कारगर है और साल के अंत तक इसे लोगों के लिए उपलब्ध करा सकेंगे।

बता दें कि दुनिया में करीब 100 वैक्सीन पर शोध जारी है। भारत भी इस दौड़ में शामिल है। भारत में कम से कम चार वैक्सीन कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उम्मीद जगा रही हैं।

करीब एक दर्जन दवाएं परीक्षण के शुरुआती चरण में

चीन, अमेरिका और यूरोप में करीब दर्जन भर प्रायोगिक दवाएं परीक्षण के शुरुआती चरण हैं, ऐसे में उनका परीक्षण शुरू होने वाला है। अभी यह साफ नहीं है कि इनमें से कोई भी दवा सुरक्षित और कारगर साबित होगी भी या नहीं, लेकिन कई दवाएं अलग-अलग तरीकों से काम करती हैं और अलग-अलग तकनीकों से बनाई गई हैं। इस कारण उम्मीद बढ़ी है कि इनमें से कोई दवा सफल हो सकती है।

वायरस को हाथ भी नहीं लगाते

‘नोवावैक्स’ कंपनी ने पिछले महीने कहा था कि हम जो दवा बनाते हैं, उसमें वायरस को हाथ भी नहीं लगाते, लेकिन आखिरकार यह रोग प्रतिरोधक क्षमता के लिए किसी वायरस जैसा ही प्रतीत होता है। उन्होंने कहा, यह वही तरीका है जिससे नोवावैक्स नैनोपार्टिकल जुकाम की दवा तैयार करती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here