Atlas Cycle के साहिबाबाद में मौजूद फैक्ट्री में लॉकडाउन से पहले हर महीने करीब दो लाख साइकिलें बनाई जा रही थीं। यानी 1 साल में इस प्लांट से करीब 50 लाख साइकिलों बनकर निकलती थी।

कोरोना वायरस महामारी ने भारत में एक और बड़े संकट को जन्म दे दिया है, इस बीमारी से संक्रमित लोग अस्पताल में लड़ रहे हैं, तो जो लोग बच गए हैं वह बाहर बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। बता दें, देश की सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनियों में से एक Atlas Cycles ने अपनी सबसे बड़ी फैक्ट्री को अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया है। दुखद बात यह रही कि इसकी घोषणा विश्व साइकिल दिवस के दिन की गई है। कंपनी के इस फैसले से करीब 1000 मजदूरों एक झटके में बेरोजगार हो गए हैं।

बीते दिन यानी बुधवार को जब मजदूर काम करने के लिए फैक्ट्री पहुंचे तो उन्होंने कंपनी के बाहर एक नोटिस लगा पाया जिसमें लिखा था कि कंपनी के पास अब फैक्ट्री चलाने का पैसा नहीं है। जिसके कारण इसे बंद किया जा रहा है। बता दें, साहिबाबाद में एटलस की यह फैक्ट्री सन् 1989 से चल रही है। यानी करीब 31 साल बाद इस पर ताला लगा है।

एटलस साइकिल के साहिबाबाद में मौजूद फैक्ट्री में लॉकडाउन से पहले हर महीने करीब दो लाख साइकिलें बनाई जा रही थीं। यानी 1 साल में इस प्लांट से करीब 50 लाख साइकिलों बनकर निकलती थी। हालांकि अब इस तालाबंदी में सबसे खराब हालात फैक्ट्री के मजदूरों के हैं। रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारियों को मई माह का वेतन भी नहीं दिया गया है।

फैक्ट्री के बंद होने पर कंपनी की तरफ से बयान आया कि अब मालिकों के के पास फैक्टरी चलाने के लिए पैसा नहीं है। यहां तक की कच्चे माल के भी अब लाले पड़ गए हैं। वहीं एटलस साइकिल यूनियन के महासचिव महेश कुमार ने बताया कि कंपनी लॉकडाउन में भी लगातार कर्मचारियों से काम करा रही थी। बुधवार को जब कर्मचारी ड्यूटी पर पहुंचे तो गार्डों ने उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया।

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