कोरोना वायरस में हो रहे बदलावों से उसकी ताकत नहीं बढ़ी है। तेजी से संक्रमण फैलाने और मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने की क्षमता पर भी कोई खास असर नहीं पड़ा है। यह दावा यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में किया है।

विभिन्न इलाकों में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस के 31 स्ट्रेन का अध्ययन करने के बाद वैज्ञानिकों ने अहम निष्कर्ष निकाले हैं। पता चला कि कुछ बदलाव तो आम हैं जो अक्सर वायरस में होते रहते हैं। कुछ हानिकारक मिले लेकिन उनका असर इतना ज्यादा नहीं है।

कुछ बदलाव तो मरीजों के प्रतिरक्षा तंत्र की प्रतिक्रिया की वजह से हुए। यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं ने 75 देशों में 15 हजार से ज्यादा कोरोना पीड़ितों पर अध्ययन किया। उन्होंने सिर्फ 31 बदलावों पर ध्यान केंद्रित किया जो 10 से ज्यादा बार सामने आए थे।

शरीर स्वीकार कर लेगा : शोधकर्ताओं में से एक डॉ. फ्रेंको डेराक्स का कहना है कि हम जानना चाहते थे कि वायरस में हो रहे बदलाव कितने घातक हैं, क्या इनसे संक्रमण फैलने की दर बढ़ जाती है। निष्कर्ष बताते हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

वहीं, सिर्फ कुछ बदलाव ऐसे थे जो किसी अन्य वायरस को फैलने में मदद कर सकते थे। इससे केवल यही उम्मीद की जानी चाहिए कि धीरे-धीरे इसमें होने वाले बदलाव आम हो जाएंगे और तब मानव शरीर उन्हें स्वीकार कर लेगा। अन्य अध्ययनों के मुताबिक, कोरोना वायरस में अब तक 7000 से ज्यादा बदलाव आए हैं। इनमें से करीब 300 काफी प्रभावी रहे हैं और दुनिया के ज्यादातर देशों में इनका असर दिखा है।

वायरस में बदलाव के तीन तरीके हैं। पहला वह खुद में कुछ सुधार कर रहा हो, दूसरा अन्य किसी वायरस के संक्रमण में आया हो और तीसरा संक्रमित व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र की वजह से उसमें उत्परिवर्तन हुए हों।

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