कोरोना संक्रमित मरीजों के फेफड़े बीमार हैं। फेफड़ों पर बड़े-बड़े धब्बे पड़ चुके हैं। लेकिन संक्रमितों को इससे कोई परेशानी नहीं महसूस हो रही है। उनकी न तो सांस फूल रही है और न ही उन्हें सांस लेने में ही कोई परेशानी हो रही है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों के एक्सरे कोरोना वायरस की कहानी बता रहे हैं। वायरस के इस विचित्र व्यवहार से विशेषज्ञ चिकित्सक भी हैरान हैं।
बीआरडी मेडिकल कालेज में अब तक 152 मरीज भर्ती हो चुके हैं। इनमें से 84 डिस्चार्ज हो कर घर जा चुके हैं। बीआरडी में भर्ती होने वाले हर संक्रमित के सीने का एक्सरे कराया जाता है। संक्रमितों की एक्सरे रिपोर्ट डॉक्टरों को हैरान कर रही है। एक्सरे में 90 फीसदी संक्रमितों के फेफड़े बीमार मिले हैं। 67 मरीजों के फेफड़ों में गहरा धब्बा दिखा है। यह धब्बा निमोनिया संक्रमण के कारण होते हैं। इसके बाद भी मरीजों में सांस फूलने, सांस लेने में तकलीफ जैसी कोई समस्या नहीं है।
38 मरीजों में मिले हैं एआरडीएस
बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती 38 संक्रमितों के फेफड़े में एक्यूट रेस्पिरेट्री डिस्ट्रेस सिंड्रोम(एआरडीएस) की पहचान हुई। इनकी सांस फूल रही थी। इनमें से 8 मरीजों को ही वेंटिलेटर और ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी। आईसीयू में भर्ती 30 मरीज बगैर ऑक्सीजन के ही ठीक हो गए। सामान्य दवाओं से उनके सांस फूलने की समस्या दूर हो गई।
रिपोर्ट और मरीज के लक्षण में है अंतर
कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले बीआरडी मेडिकल कॉलेज के छाती रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा बताते हैं कि कुछ मामलों में एक्सरे रिपोर्ट और मरीज द्वारा बताए गए लक्षण के बीच कोई समानता नहीं दिखी। एक्सरे में निमोनिया के धब्बे या एआरडीएस मिले। फिर भी मरीज को सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। लक्षणों में किसी प्रकार के संक्रमण का संकेत नहीं था। कुछ मामलों में तो इलाज के लिए मरीज को दवा की जरूरत नहीं पड़ी। वह स्वत: ठीक हो गया।
डिस्चार्ज के समय भी हो रही है एक्सरे
बीआरडी के प्राचार्य डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि कोरोना वायरस अभी अनसुलझी गुत्थी है। इसको लेकर रिसर्च चल रही है। एक के बाद एक नई थ्योरी आ रही है। मरीजों की एक्सरे रिपोर्ट के जरिए भी इस वायरस पर शोध हो सकता है। इसको देखते हुए मरीजों के वार्ड में भर्ती होने और डिस्चार्ज होने के समय एक्स-रे जांच कराई जा रही है। भर्ती व डिस्चार्ज के दौरान हुए एक्सरे में अंतर साफ है। इस जांच रिपोर्ट पर भविष्य में शोध हो सकता है।