कोरोना संक्रमित होने के बाद 80 वर्षीय बुजुर्ग एम्स सहित कई अस्पतालों का चक्कर काटते रहे। बुजुर्ग ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन याचिका पर सुनवाई से पहले ही गुरुवार को उनकी मौत हो गई।

दरअसल, उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नंदनगरी निवासी 80 साल के बुजुर्ग ने सरकारी या किसी निजी अस्पताल में निशुल्क कोटे के तहत भर्ती कर इलाज देने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय में 2 जून को याचिका दाखिल की थी। याचिका में वेंटीलेंटर की भी जरूरत पर बल दिया था। याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई होनी थी, लेकिन इससे पहले ही बुजुर्ग की गुरुवार को मौत हो गई।

उच्च न्यायालय में दाखिल याचिका के अनुसार 25 मई को तबीयत खराब होने के बाद उसके बेटे ने पिता को पूर्वी दिल्ली के एक अस्पताल भर्ती कराया। आरोप है कि अस्पताल कर्मचारियों के लापरवाही के चलते एक सप्ताह बाद बिना किसी लक्षण के कोरोना का रिपोर्ट पॉजिटिव आया।

याचिकाकर्ता गोयल ने कहा है कि इसके बाद वह अपने पिता को लेकर एम्स, राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल, मैक्स पटपड़गंज लेकर गए। लेकिन कहीं पर भर्ती कर इलाज नहीं किया गया। गोयल की ओर से दाखिल याचिका पर शुक्रवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई होना तय हुआ था।

याचिकाकर्ता ने बताया कि वह अपने पिता को भर्ती कराने के लिए एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में चक्कर काटते रहे, लेकिन किसी ने भी भर्ती नहीं किया। जस्टिस नवीन चावला के समक्ष मामले की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आरपीएस भाटी ने मरीज के मौत होने की जानकारी दी। भाटी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने कहा है कि अब कोई भी मेडिकल इमरजेंसी को लेकर याचिका दाखिल होने पर उसी दिन सुनवाई होगी। हालांकि इस बारे में अभी आदेश अपलोड नहीं हुआ है।

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