कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर बुधवार को स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ चर्चा की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. आशीष झा और महामारी विज्ञानी, कारोलिंस्का संस्थान, स्वीडन के प्रोफेसर जोहान गीसेके के साथ कोविड -19 संकट पर बातचीत की। हार्वर्ड ग्लोबल हेल्थ इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर झा ने कहा लॉकडाउन का कारण यह है कि आप वायरस के प्रसार को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। मानवता ने इस वायरस को कभी नहीं देखा है। इसका मतलब है कि हम सभी अतिसंवेदनशील हैं।राहुल ने कहा कि मुझे विश्वास है कि इसके बाद हमारे पास एक नई दुनिया होगी। लोग कहते हैं कि 9/11 एक नया अध्याय था। खैर, यह एक नई किताब है।

उन्होंने कहा कि आप एक लॉकडाउन के माध्यम से वायरस को धीमा कर सकते हैं, लेकिन इसके बुरे आर्थिक नतीजे हैं। अधिकारियों को अपने टेस्ट बुनियादी ढांचे को तैयार करने के लिए उस समय का उपयोग करना चाहिए। इससे आने वाले समय में योजना बनाना आसान होगा।

प्रोफेसर झा ने कहा कि- अब, जब आप अर्थव्यवस्था खोलते हैं, तो आपको लोगों को विश्वास दिलाना होता है।  राहुल ने अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि उन्हें सबसे बड़ा डर अनिश्चितता का था। प्रोफेसर झा ने सहमति व्यक्त की और कहा कि सरकार को लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए एक रणनीति बनाने की आवश्यकता है।

30 अप्रैल को राहुल गांधी ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के साथ बातचीत की थी। तब उन्होंने सुझाव दिया था कि सरकार गरीबों को सीधे नकद हस्तांतरित करे और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को मदद के लिए भोजन की आपूर्ति करे। कोरोना वायरस बीमारी (कोविद -19) के प्रकोप और फलस्वरूप 40 दिनों के लॉकडाउन के प्रभाव पर उनका अनुमान है, इस प्रयास का अनुमान 65,000 करोड़ रुपये होगा।

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