भारत भले ही संक्रमण के मामले में पांचवें नंबर हो लेकिन गंभीर मरीजों की संख्या में अमेरिका के बाद दूसरे स्थान पर है। वल्डोमीटर के आंकड़ों को देखें तो अमेरिका में गंभीर मरीजों की संख्या 16,923 जबकि भारत में 8,944 है। भारत से कई गुना ज्यादा संक्रमण वाले ब्राजील व रूस में भी इतने मरीज नहीं हैं। ब्राजील में भारत से तीन गुना ज्यादा लोग वायरस की चपेट में हैं, फिर भी वहां 8,318 मरीज गंभीर रूप से पीड़ित हैं। रूस में दोगुने केस होने के बाद भी वहां ऐसे मरीजों की संख्या भारत की एक चौथाई है। स्पेन, ब्रिटेन, इटली व जर्मनी में एक हजार से कम ऐसे मामले हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले बताया था कि देश में पांच फीसदी से कम लोगों को गंभीर रूप से पीड़ित होने के कारण गहन चिकित्सा की जरूरत पड़ी। इनमें से 2.25 फीसदी आईसीयू में भर्ती हुए और 1.91 फीसदी लोगों को कृत्रिम ऑक्सीजन देना पड़ा। महज कुछ लोगों को वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया। इनमें से ज्यादातर मरीज महाराष्ट्र, दिल्ली, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं।

रूस में भारत के मुकाबले कम मौतें: रूस में भारत से दोगुने लोग संक्रमण की चपेट में आए हैं। भारत की तरह रोजाना वहां करीब 9000 मामले सामने आ रहे हैं, इसके बावजूद वहां मरने वालों की संख्या कम है। देश में जहां 7,207 लोगों को कोरोना की वजह से जान गंवानी पड़ी है वहीं, रूस में सिर्फ 5,971 लोगों की मौत हुई है। बीते एक हफ्ते में ब्राजील और भारत में मरने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

गंभीर मरीज कौन: गंभीर मरीज वे लोग हैं जिनकी हालत लगातार खराब होती जाती है और उन्हें तुरंत गहन चिकित्सा की जरूरत पड़ती है। ज्यादातर ऐसे मरीजों को सांस लेने में दिक्कत होने से कृत्रिम ऑक्सीजन देना पड़ता है और कभी-कभी तो उन्हें वेंटिलेटर पर भी ले जाना पड़ता है।

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