लॉकडाउन में फंसे श्रमिकों ने गुजरात से आने के लिए किसी ने पायल बेचकर तो किसी ने घर से पैसे मंगाकर रेल का टिकट खरीदा। वसूली करने वालों ने गरीब मजदूरों को भी नहीं बख्शा। श्रमिकों से वास्तविक किराया 650 के बजाय 750 से 800 रुपये प्रति यात्री के हिसाब से वसूली की गई।

यह दुखड़ा वहां से आए श्रमिकों ने बयां किया। गुजरात के सूरत से शुक्रवार को 1187 प्रवासी श्रमिकों को लेकर स्पेशल ट्रेन दोपहर सवा तीन बजे सेंट्रल स्टेशन पहुंची। यहां से मजदूरों को 41 बसों से उनके जिलों में भेजा गया।

वसूली के मामले में रेलवे अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहे हैं। रेलवे अधिकारियों का कहना है कि न तो हम टिकट का पैसा ले रहे हैं और न ही रास्ते में टिकट चेक किया जा रहा है। राज्य सरकार को इकट्ठा टिकट दे देते हैं। इसका 85 प्रतिशत रेलवे और 15 प्रतिशत राज्य सरकार को वहन करना है।

61 जिलों के मजदूरों को किया रवाना
सूरत से आई ट्रेन में प्रदेश के 61 जिलों के श्रमिक थे। अभी वहां अन्य मजदूर भी बचे हैं लेकिन इसके लिए कई और ट्रेनों को चलाना पड़ेगा। इसमें कानपुर नगर, कानपुर देहात, फतेहपुर, प्रयागराज, बांदा, हमीरपुर, उन्नाव, कन्नौज, फर्रुखाबाद, महोबा, चित्रकूट, रायबरेली, सीतापुर, फैजाबाद, बाराबंकी, गोंडा, बहराइच, बस्ती, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, जालौन, सुल्तानपुर, अमेठी आदि जिलों के लोग थे। कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर बने आठ काउंटरों में मजदूरों की थर्मल स्क्रीनिंग कराने के बाद रजिस्ट्रेशन कराया गया।

जिला प्रशासन का रवैया रहा सुस्त
श्रमिकों के लिए रेलवे के बाद रोडवेज बसों की व्यवस्था ही कारगर साबित हुई। जिला प्रशासन की ओर से व्यवस्था सुस्त रही। यहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए न तो उपयुक्त संख्या में पुलिस बल था और न ही सिविल डिफेंस के लोग सक्रिय दिखे।

 

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