कोरोना काल में शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक तौर पर महिलाएं सबसे ज़्यादा सफर कर रही हैं। चुनौतियां और मजबूरियों कि लंबी फेहरिस्त का खुलासा शुक्रवार को आली द्वारा जारी की रिपोर्ट में हुआ। एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स (आली) ने तीन राज्यों, उत्तर प्रदेश के 28, झारखंड के 15 और उत्तराखंड के दो जिलों की 890 महिलाओं के साथ एक सर्वे किया। संस्था आली ने राज्यों सरकारों से कहा कि  महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सुनिश्चित करे।

महिलाओं की सुरक्षा, सेहत, जरूरतों और कामकाज के बारे में पता लगाते हुए रिपोर्ट जारी की है। आली की रिपोर्ट के अनुसार इन तीनों राज्यों में 67% महिलाओं ने बताया कि उनके बच्चों के लिए एक दिन का भी दूध नहीं है। 47% महिलाओं के पास तेल या घी जैसी चीजें सिर्फ 2-4 दिन की बची हैं। 13% महिलाओं के यहां पीने की पानी की कोई सुविधा न होने की बात कही।

 सरकारी योजना का नहीं मिला लाभ
आली द्वारा जारी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि 91 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि  सरकारी योजना के तहत राशन नहीं मिला है। इसके साथ ही 76 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उनके पास किसी तरह का गर्भनिरोधक विकल्प मौजूद नहीं है। 63 प्रतिशत के पास सैनिटरी नैपकिन नहीं है। महिलाओं ने कहा की कमाई ना होने से घर चलाना मुश्किल हो रहा है।

47 प्रतिशत महिलाएं बोली काम का दबाव बढ़ा
सर्वे के अनुसार महिलाओं ने हिंसा की बात कही जिसमें 92.5 प्रतिशत शादीशुदा महिलाएं शामिल थी। 60 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उनके पति या पार्टनर ही उनके साथ हिंसा कर रहे हैं। इसके साथ ही रिपोर्ट के अनुसार 47 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उनपर इस वक्त घर के काम का दबाव काफी बढ़ गया है।

हेल्पलाइन से कोई हेल्प नहीं
इस सर्वे में दावा किया गया कि महिलाओं की सुरक्षा मदद के लिए बनाई गई 181, 112 व 1090 जैसी हेल्पलाइन काम कर रही थीं। आली के सर्वे में किए गए दावे के अनुसार  88 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि हेल्पलाइन नंबर पर मदद मांगने पर कोई मदद नहीं मिल रही सिर्फ उत्तर प्रदेश में 1090 हेल्पलाइन काम कर रही है झारखंड और उत्तराखंड में यह सेवा नहीं मिल रही है। ऐसे ही 181 तीनों राज्यों में है मगर उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी दोनों जिलों में उससे प्रतिक्रिया नहीं मिलती है।

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