सीएमओ कार्यालय में फोन कर एक शख्स ने कहा कि मैं कोरोना पॉजिटिव हो गया हूं। मुझे भर्ती करा दो। तो चिकित्सा अधिकारी मरीज की जानकारी खंगालने लगे। मरीज से पूछताछ की गई तो पता चला कि उसने निजी लैब से जांच कराई है।

स्वास्थ्य विभाग के पास प्रतिदिन ऐसे 18-20 कॉल आ रही हैं। जिसमें पॉजिटिव मरीज स्वास्थ्य विभाग से भर्ती कराने की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन निजी लैब से पॉजिटिव मरीज की जानकारी देर से मिलने के कारण मरीजों को भर्ती करने में 6-8 घंटे या इससे भी अधिक समय लग रहा है। यह परेशानी निजी लैब से पॉजिटिव मरीजों को हो रही है। वहीं, संक्रमित मरीज जल्द से जल्द अस्पताल में भर्ती होना चाह रहे हैं, लेकिन जब तक निजी लैब स्वास्थ्य विभाग को ई-मेल कर मरीज की जानकारी नहीं देते तब तक वह भर्ती नहीं हो सकते। इससे मरीज परेशान हो रहे हैं।

वर्तमान में जिन मरीजों में बीमारी की पुष्टि हो रही है उनमें से 80 प्रतिशत मरीज निजी लैब के होते हैं यानि रविवार को 41 मरीजों में बीमारी की पुष्टि की गई। इनमें 32 मरीज निजी लैब की रिपोर्ट के अनुसार पॉजिटिव थे। एक सप्ताह से निजी लैब में जांच बढ़ी हैं। भर्ती होने में देरी होने की शिकायत भी मरीज मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी कर रहे हैं।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. दीपक ओहरी ने बताया कि हमें लैब से पहले मरीजों से यह पता चल रहा है कि वे पॉजिटिव हैं। इससे मरीज की परेशानी तो बढ़ती ही है। हमें भी मरीज को भर्ती करने में दिक्कत होती है, क्योंकि जब तक लैब हमें पॉजिटिव मरीजों की सूची और नंबर नहीं देती तो उन्हें भर्ती कैसे किया जा सकता है। हमें शाम को रिपोर्ट भेजी जाती है, जबकि मरीज को दोपहर में ही रिपोर्ट दे दी जाती है। वे हमें फोन कर भर्ती करने की मांग करने लगते हैं। लेकिन पूरी प्रक्रिया पूरी नहीं होने की स्थिति में उन्हें भर्ती कर पाने में परेशानी आती है। लैब को पहले हमें रिपोर्ट देने के निर्देश कई बार दिए गए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here