पारड़ा चुंडावत क्वारंटीन सेंटर, यहां कोरोना का डर ही नहीं है, बाकी सब कुछ है। सेंटर में रहने वाले लोगों का जीवन बदल गया, दिनचर्या बदल गई। जब लोग यहां पर आए तो उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि क्वारंटीन सेंटर ऐसा भी हो सकता है।

सुबह उठो तो एरोबिक्स है, योगा है और संगीत है। भजन और देशभक्ति के गीतों में मन लगता है तो ठीक है अन्यथा आपकी पसंद से ‘लता और किशोर’ के गीत सुनाए जाते हैं। आपकी मर्जी है कि आप सुनना क्या चाहते हैं।

समाचार सुन सकते हैं और पढ़ भी सकते हैं। क्वारंटीन सेंटर पर रहने वाले लोग खुद अपना मेन्यू तय करते हैं। भोजन भी उसी के अनुरूप मिलता है। बच्चों के लिए चित्रकारी, अंताक्षरी, स्पेलिंग, पर्यायवाची व शब्द उच्चारण आदि के माध्यम से रोचक माहौल बनाया जाता है। बच्चों को बिल्कुल हॉस्टल सा माहौल मिलता है।

रोल मॉडल बना डूंगरपुर का यह क्वारंटीन सेंटर
यहां बात हो रही है राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित क्वारंटीन सेंटर की। इस सेंटर पर आने वाले लोगों को कोरोना से डर नहीं रहता। संगीत, योग, और एरोबिक्स के जरिए उन्हें कोरोना से लड़ने की ताकत प्रदान की जाती है।

सूचना एवं जनसंपर्क कार्यालय की सहायक निदेशक छाया चौबीसा के अनुसार, वैश्विक महामारी के इस दौर में खासतौर पर क्वारंटीन सेंटर को लेकर भय की काल्पनिक तस्वीर बनी हुई है। डूंगरपुर जिले में स्थित एक क्वारंटीन सेंटर ऐसा भी है, जहां पर भय नहीं, केवल आनंद है।

नित्य नए नवाचारों से यहां मौजूद लोगों को हर पल जीवन को एक नए उत्साह से जीने का तरीका सिखाया जा रहा है। कभी उल्लास भरते गीत हैं तो कभी मन को शांत करने के लिए आध्यात्म का पाठ है।

कभी म्यूजिक थेरेपी से भीतर की सकारात्मक उर्जा को जागृत किया जाता है तो कभी योग और ध्यान से मन को साधने की कला को सिखाया जा रहा है। इन नवाचारों का परिणाम है कि यहां रहने वाले लोगों के मन में कोरोना के लिए डर दूर हो चुका है।

इन अनूठे नवाचारों की बदौलत डूंगरपुर जिले का पारड़ा चुंडावत क्वारंटीन एक रोल मॉडल के रूप में विकसित हुआ है।

संगीत, योगा, एरोबिक्स और मेडिटेशन से बना सकारात्मक माहौल
क्वारंटीन सेंटर पर रहने वालों की नींद अल सुबह 6 बजे मधुर भजनों के साथ खुलती है। दैनिक क्रिया करने के बाद योग की क्लास लगती है। दो टीम योग कराती हैं। कुछ लोग खुले मैदान में योग करते है तो अन्य अपने कमरों में रहते हुए योगाभ्यास करते हैं।

कमरे में मौजूद लोगों में से ही एक व्यक्ति दरवाजे के बीच में खड़ा होता है। वह बाहर मैदान में योग करने वालों को देखकर योग क्रियाएं संपादित करता है। इसे सेंटर के भीतर मौजूद सभी लोग फॉलो करते हैं।

पूर्ण सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए योग कराया जाता है। इसके बाद म्यूजिक पर एरोबिक्स होता है। उसके बाद पसंद का नाश्ता मिलता है। नहाने के बाद दोपहर का भोजन और आराम की नींद।

सायं 5 बजे पसंद के फिल्मी गाने, जिसमें किशोर कुमार, रफी, लता मंगेशकर आदि अन्य गायकों के गाने सम्मिलित हैं, सुनाए जाते हैं। उसके बाद वे लोग भजन, आरती और देशभक्ति के गानों के साथ भोजन करते हैं।

साइकोलॉजिकल सपोर्ट के लिए काउंसलिंग दी जाती है
क्वारंटीन सेंटर पर आने वालों लोगों के मन में एक अनावश्यक भय होता है कि कहीं कुछ हो न जाए। अब उनके घर-परिवार का क्या होगा। ऐसे कई सवाल उनके दिमाग में आते हैं। शुरू में कई लोग इसके चलते गुमसुम हो जाते हैं।

ऐसे में इन लोगों को साइकोलॉजिकल सपोर्ट देने के लिए काउंसलिंग दी जाती है। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए शरीर-क्रिया विज्ञान को आध्यात्म से जोड़ते हुए समझाया जाता है।

सेंटर प्रभारी एवं उपखण्ड अधिकारी साबला मनीष फौजदार का कहना है कि शुरुआती दिनों में देखा गया कि यहां पर आने वाले दिनभर गुस्सा करते थे। उनमें चिड़चिड़ापन भी देखा गया। हमनें उनकी इस परेशानी को समझा।

इन लोगों को मानसिक शांति देने का प्रयास शुरू हुआ। दिमाग को डायवर्ट करने के लिए कई गतिविधियां चालू की गईं। म्यूजिक थेरेपी की मदद ली गई। म्यूजिक सिस्टम हॉस्टल में लगाकर इसे यूट्यूब से जोड़ दिया गया।

दिनभर का शेड्यूल भी तैयार किया गया। यानी सुबह भजन, दोपहर को फिल्मी गाने, शाम को भजन, आरती और देशभक्ति फरमाइश गीत लगाने शुरू कर दिए। इसके परिणाम सामने आए। चिड़चिड़ापन गायब हो गया।

जिला कलेक्टर कानाराम का कहना है कि पारडा चुण्डावत क्वारंटीन सेंटर पर किए गए नवाचारों से वहां मौजूद लोगों में डर नहीं वरन, एक सकारात्मकता आई है। निसंदेह यह प्रयास सराहनीय एवं अनुकरणीय है।

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