डॉक्टर भी इसे मां के दूध और उसकी ममता का कमाल कह रहे हैं। 23 दिन का मासूम बिना दवा के कोरोना जैसी घातक बीमारी से जंग जीत गया। मात्र 15 दिन में संक्रमण से मुक्त हुआ जिले का अब तक का सबसे नन्हा मरीज एसएन अस्पताल से सकुशल घर पहुंच गया है। अब वह 38 दिन का हो चुका है।

ताजगंज के मोहम्मद आरिफ के 23 दिन के बेटे मोहम्मद साद को कोरोना की पुष्टि होने पर 20 मार्च को एसएन मेडिकल कॉलेज के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था।
चिकित्सकों के लिए यह मरीज खास था, सो इसके लिए व्यवस्थाएं भी वैसी ही की गईं। देखरेख के लिए मां जैनब बेगम को साथ रखा गया। वह पीपीई किट पहन कर बच्चे के साथ रहतीं। क्योंकि वह निगेटिव थीं।

उधर मासूम में कोई लक्षण नहीं दिख रहा था। उसे क्या इलाज दें, चिकित्सक भी उलझन में थे। ऐसे में दवा के लिए उसमें लक्षण आने का इंतजार किया गया। चिकित्सकों ने जैनब बेगम की सेहत का विशेष ख्याल रखा। उन्हें फल, हरी सब्जी, सलाद, दूध समेत पौष्टिक भोजन दिया गया। शिशु को पांच से सात बार स्तनपान कराया जाता। नतीजा यह हुआ, साद की 14 दिन में दो बार रिपोर्ट निगेटिव आईं। यह किसी मरीज में अबतक का सबसे तेज सुधार है।

डॉक्टरों ने विशेष ख्याल रखा
जैनब ने बताया, साद के संक्रमित होने की जानकारी पर दिल बैठ गया। हर वक्त उसे छाती से लगाए रहती। डॉक्टर-नर्स उसका हालचाल जानने के लिए आते। डॉक्टरों द्वारा दिए निर्देशों के अनुसार सावधानी से स्तनपान कराती।

मां की ममता कोरोना पर भारी पड़ी। मोहम्मद जैनब ने बताया कि परिवार में चाचा को कोरोना हुआ, इसके चलते जांच कराई। हम सभी निगेटिव थे पर बेटे की रिपोर्ट पॉजीटिव आई। हम ही घबरा गए थे लेकिन सबकुछ ठीक हो गया।

मां का दूध बना दवा: डॉ. अखिल  
एसएन मेडिकल कॉलेज के कोविड अस्पताल के सह प्रभारी डॉ. अखिल प्रताप सिंह ने बताया कि साद सबसे कम उम्र का संक्रमित था। उसकी मां को पौष्टिक भोजन दिया गया और शिशु को ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराने को कहा गया। शिशु में कोई लक्षण नहीं थे, अत: उसके लिए मां का दूध ही दवा बन गया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here