हैदराबाद में एक बड़ा ही अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां एक कोरोना मरीज महिला को उसकी दो बेटियों को ठीक होने के बाद 16 मई को अस्पताल से डिस्चार्ज कर किया गया। इसके बाद महिला का कहना है कि उसका 42 वर्षीय पति भी कोरोना से संक्रमित थे, जो अब लापता हैं। दूसरी तरफ, गांधी अस्पताल के अधिकारियों ने कहा है कि उस शख्स कि एक मई को ही मृत्यु हो गई थी और अगले दिन ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (GHMC) के अधिकारियों द्वारा उसके परिवार के सदस्यों को सूचित करने के बाद उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया था।

यह सब कुछ हैदराबाद की वनस्थलीपुरम कॉलोनी में रहने वाली आलमपल्ली माधवी के ट्वीट के साथ शुरू हुआ। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि उनके पति ए मधुसूदन (42) जो एक राइस मिल में काम करते थे अस्पताल से 16 मई को छुट्टी मिलने के बाद उनके साथ घर नहीं आए। उन्होंने इस ट्वीट को तेलंगाना सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री केटी रामाराव को भी टैग किया।।

उन्होंने मंत्री से शिकायत की कि उनके पति को 27 अप्रैल को किंग कोठी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद 30 अप्रैल को गांधी अस्पताल ले जाया गया। डॉक्टरों का कहना है कि उनके पति का एक मई को देहांत हो गया था और 2 मई को उनके दाह संस्कार की प्रक्रिया पूरी की गई थी।

माधवी ने आरोप लगाया कि अस्पताल के अधिकारियों ने प्रक्रिया पूरी करने के लिए उनकी अनुमति नहीं ली थी और ना ही उनके पति के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन कराए। इतना ही नहीं अस्पताल ने उनके श्मशान में अंतिम संस्कार का कोई वीडियो, फोटो या उनके किसी सामान को कोई सबूत नहीं दिखाया।

उन्होंने कहा कि जब 16 मई को जब अस्पताल से हमें छुट्टी मिली तो हमने अस्पताल के अधिकारियों से मेरे पति के बारे में फिर से पूछताछ की तो उन्होंने कोई सही जवाब नहीं दिया। उन्होंने पहले कहा कि वह अभी भी वेंटिलेटर पर हैं लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि वह मर चुके हैं। महिला ने मंत्री से मांग है कि मेरे पति के लापता मामले की जांच में मदद करें।

गांधी अस्पताल के अधीक्षक डॉ एम राजा राव ने एक बयान जारी कर कहा है कि महिला के पति जो कोरोना के साथ सांस लेने की बीमारी और निमोनिया से पीड़ित थे। अस्पताल में भर्ती कराने के एक दिन बाद ही एक मई की शाम को  देहांत हो गया।

उन्होंने कहा कि प्रक्रिया के अनुसार, परिवार के सदस्यों को सूचित किया गया और प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शव को पुलिस को सौंप दिया गया और उनकी मंजूरी भी ली गई। उन्होंने कहा कि जीएचएमसी द्वारा शव का अंतिम संस्कार किया गया था और सभी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।

माधवी के परिवार के साथ सहानुभूति रखते हुए राव ने कहा कि अस्पताल के डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों को बदनाम करना गलत था, जो अपनी जीवन को खतरे में डालकर सैकड़ों कोरोना मामलों का इलाज कर रहे थे।

माधवी ने संवाददाताओं से कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनके पति जीवित हैं। वह गांधी अस्पताल अधीक्षक के दावे से सहमत नहीं है कि परिवार को इसकी जानकारी दी गई थी और परिवार के सदस्यों के आगे नहीं आने पर शव पुलिस को सौंप दिया गया था। उन्होंने कहा कि अस्पताल सबूत दिखाए कि उन्होंने किसे सूचित किया था और जिनसे उन्होंने सहमति ली थी वो पत्र उन्हें दिखाएं।

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