People walk past closed shops in a nearly deserted wholesale market during lockdown by the authorities to limit the spreading of coronavirus disease (COVID-19), in the old quarters of Delhi, India, March 24, 2020. REUTERS/Anushree Fadnavis

कोरोनावायरस के संक्रमण से बचने के लिए देशभर में जारी 21 दिन के लॉकडाउन के बावजूद इंदौर में आम लोग लापरवाही करते रहे। नतीजा यह हुआ कि शहर में संक्रमितों की संख्या 24 हो गई। शहर में अब कोरोना की स्टेज-3 यानी वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा मंडराने लगा है। इसी वजह से इंदौर में 1 अप्रैल तक देश का सबसे सख्त लॉकडाउन लागू किया गया है। सोमवार सुबह जब इसकी शुरुआत हुई तो किराने की दुकानें बंद रहीं। होम डिलीवरी भी नहीं हुई। स्वयंसेवी संस्थाओं को चौराहों पर जाकर खाना बांटने से रोक दिया गया। शहर में पुलिस, प्रशासन, हेल्थ वर्कर्स, मेडिकल स्टोर्स और मीडिया को छोड़कर हर तरह की गाड़ियों को प्रतिबंधित कर दिया गया। कई इलाकों में दूध भी नहीं बंटा। बाद में प्रशासन ने थोड़ी राहत देते हुए कहा कि सुबह 6 से 9 बजे और शाम से 5 से 7 बजे तक दुकानों से दूध मिलेगा।

कलेक्टर मनीष सिंह ने साफ कर दिया है कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई होगी। नियम तोड़ने वालों को खुली जेल में रखा जाएगा। भोजन बांटने के लिए एनजीओ को दिए गए पास भी निरस्त कर दिए गए हैं। यह जिम्मेदारी अब प्रशासन उठाएगा। पहले चरण में 10 हजार फूड पैकेट्स बांटे जाएंगे।

इंदौर में नगर निगम के सफाई कर्मचारियों ने शहर की सीमाओं के आसपास और चौराहों पर लिखा- लॉकडाउन और भारत बंद। शहर में 24 घंटे खुले रहने वाले पेट्रोल पंप बंद हैं। सिर्फ 7 पेट्रोल पंप खुले हैं, जो इमरजेंसी सेवाओं- एंबुलेंस, टैंकर, सरकारी वाहन को डीजल, पेट्रोल दे रहे हैं। पुलिस ने सुबह 7 बजे के बाद हर चौराहे पर नाकेबंदी कर दी है। हर आने-जाने वाले को समझाइश दी जा रही है। पुलिस का कहना था कि थोड़ी देर समझाएंगे, नहीं मानते हैं तो केस दर्ज करेंगे।

सोमवार सुबह 5 बजे से शहर की डेयरी के बाहर लोग पहुंचना शुरू हो गए। यहां चौराहों पर भी आज दूध बांटने आने वालीं गाड़ियां नहीं आईं। कई लोगों को पता नहीं था कि आज से दूध की सप्लाई बंद है। इनका कहना था कि अगर दूध नहीं मिलेगा तो घर में छोटे बच्चों का क्या होगा। वे भूखे ही रहेंगे। प्रशासन सुरक्षा के अच्छे कदम उठा रहा है, लेकिन सुविधाओं का भी ख्याल रखें।

कई गार्ड पैदल आते-जाते देखे गए। ये जहां नौकरी करते हैं, वहां से उनका घर 10-15 किमी दूर है। इंदौर के मॉल, होटल में काम करने वाले लोगों ने बताया कि अचानक लॉकडाउन से हमारे साथियों को पैसे नहीं मिले। उनकी आर्थिक हालत बहुत खराब है।

इंदौर में काम करने वाले 150 मजदूर भोपाल-इंदौर हाइवे (एबी रोड) पर देखे गए। ये लोग अपने घरों के लिए निकले। इनमें छतरपुर, पन्ना, दमोह, सागर के रहने वाले थे। सभी मजदूरी करते हैं। सिक्योरिटी गार्ड हैं। कुछ लोग पीथमपुर से आए थे, जो कल दोपहर 12 बजे घर से निकले थे। मजदूरों का कहना था कि हम 4-5 दिन से यहां रुके रहे। सोचा कि सब सामान्य हो जाएगा तो काम मिल जाएगा। ठेकेदार से भी मजदूरी के पैसे नहीं मिले। जो जेब में थे, वे भी खर्च हो गए।

इंदौर में अचानक से दो दिन में संक्रमण के मामले बढ़े हैं। संक्रमितों की संख्या 24 पर पहुंच गई। सभी मरीजों का अलग-अलग अस्पताल में इलाज चल रहा है। अधिकारियों ने सभी को एमआर टीबी अस्पताल में शिफ्ट करने को कहा है। इनमें से चार की हालत गंभीर बताई जा रही है। इनमें से एक वेंटिलेटर पर है तो बाकी तीन को बाईपेप मशीन पर रखा गया है।

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