जापान में गुरुवार तक कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले महज 924 थे और इससे मरने वालों की संख्या 29. दूसरी तरफ जापान के पड़ोसी चीन में अब तक कोरोना से संक्रमण के 81 हजार मामले सामने आ चुके हैं और नौ हजार के आसपास दक्षिण कोरिया में. विशेषज्ञ इस बात को लेकर हैरान हैं कि आखिर जापान में इतने कम मामले क्यों हैं. क्या वाकई जापान ने कोरोना को कंट्रोल कर लिया है? कुछ लोग भारत के मामले में ही दिए जा रहे तर्क को जापान के लिए भी दोहरा रहे हैं. कहा जा रहा है कि आबादी के लिहाज से कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर जितना टेस्ट किया जाना चाहिए था, वो नहीं हो रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ मनितोबा में वायरल पैथोजेनेस के प्रोफेसर जैसोन किंद्राचक का कहना है कि अगर कोई मुल्क अपने बड़े पैमाने पर टेस्ट नहीं करेगा तो मामले भी कम ही सामने आएंगे.
दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया की आबादी महज पांच करोड़ है और कोरोना वायरस के संक्रमण के टेस्ट दो लाख 70 हजार लोग के किए गए हैं. मतलब दक्षिण कोरिया में हर 185वें व्यक्ति में से एक का टेस्ट किया गया है. दक्षिण कोरिया ने बहुत सुनियोजित तरीके से टेस्ट को अंजाम दिया है.
19 मार्च 2020 यानी गुरुवार को अमेरिका में कोरोना वायरस के कुल 10,491 मामले हो गए. जो कि पहले 3404 था. वहीं, मरने वालों की संख्या एक दिन में करीब तीन गुना ज्यादा हो गई. अमेरिका में पहले मरने वालों की संख्या 53 थी जो 19 मार्च को बढ़कर 150 हो गई
र्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के पूर्व चीफ ऑफ हेल्थ पॉलिसी केंजी शिबुया ने ब्लूमबर्ग से कहा है कि जापान का पूरा ध्यान या तो कम्युनिटी संक्रमण रोकने पर है या अभी तक वहां के पूरे मामले सामने आने बाकी हैं. जापान की आबादी 12.6 करोड़ है और यहां बीते महीनों में 32,125 टेस्ट ही हुए हैं. हालांकि यहां कई ऐसे लोग भी हैं जिनका टेक्स्ट एक से ज्यादा बार किया गया है. जापान में टेस्ट असल में 16,484 लोगों का ही हुआ है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, जापान अपनी टेस्टिंग क्षमता का दो तिहाई ही इस्तेमाल कर रहा है. जापान में हर दिन 7,500 लोगों के टेस्ट किए जा सकते हैं लेकिन वहां के स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि अभी इसकी जरूरत नहीं है. जापान उन पहले देशों में से एक है जहां चीन से बाहर कोरोना वायरस के मामले पाए गए थे. जापान में कोरोना का पहला मामला 16 जनवरी को सामने आया था. इसके बाद मामले लगातार बढ़ते गए लेकिन डायमंडर प्रिंसेस क्रूज शिप के बाद से मामले थम गए थे. पिछले महीने जापान ने कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए कई तरह के कदम उठाए थे.
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि जापान में कोरोना वायरस का संक्रमण इसलिए भी कम है क्योंकि वहां कि संस्कृति भी वैसी है. जापान के लोग बहुत सोशल नहीं होते हैं. उन्हें एकांत पसंद है. जापान के लोग सालों से बीमार होने या एलर्जी के मामले में मास्क पहनते हैं. जापनियों के लिए मास्क उनकी दैनिक ज़रूरतों का हिस्सा है. इन वजहों से भी जापान में कोरोना का संक्रमण बाकी देशों की तुलना में कम फैला है.