पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में फसलों को तबाह करने के बाद  टिड्डियों का दल राजस्थान के जयपुर पहुंच गया है। सोमवार सुबह टिड्डियों का एक बडा झुंड जयपुर के परकोटा क्षेत्र में बड़ी चैपड़ और आस-पास के इलाकों जैसे मुरलीपुरा, जवाहर नगर विद्याधर नगर और कई अन्य क्षेत्रों में देखा गया। इस दल के हमले को देखकर लोग अपने घरों में पेड़ पौधों को बचाने में लग गए।

लगभग 28 साल बाद टिड्डी दल ने जयपुर जिले में दस्तक दी है। इससे पहले 1993 में टिड्डियों ने जयपुर जिले में फसलों को चट कर दिया था। राजस्थान में नुकसान पहुंचाने के बाद टिड्डी दल मध्यप्रदेश की सीमा की तरफ बढ़ गया। इनके उत्तर प्रदेश के आगरा सहित कई शहरों में पहुंचने की संभावना है। इसे लेकर प्रशासन ने अलर्ट कर दिया है।

इस साल जल्दी प्रवेश
अधिकारियों के मुतबिक, पाकिस्तान से टिड्डियों का दल राजस्थान, पंजाब, हरियाणा और मध्यप्रदेश में प्रवेश कर चुका है। इससे कपास की फसल और सब्जियों को भारी नुकसान का अंदेशा है। राजस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। इस साल टिड्डियों का दल जल्दी आया है। आम तौर पर ये जून-जुलाई में आता है।

हवा के रुख के कारण इतनाा अंदर तक आ गया टिड्डी दल

अधिकारियों का कहना है कि हवा के रुख के कारण इस बार टिड्डी दल इतने अंदर तक आ गए हैं। इनपर नियंत्रण की कोशिश की जा रही है। राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि अधिकारियों को इसपर नियंत्रण के लिए कार्रवाई करने को कहा गया है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में पत्र लिखा गया है।
यूपी में कई जिलों में टिड्डी दल से खतरा

आगरा  
राजस्थान के बाद अब ये टिड्डी दल यूपी के आगरा जिले की तरफ बढ़ रहा है। सोमवार को आगरा की सीमा में टिड्डी दल प्रवेश कर सकता है। यह दल राजस्थान के करौली होते हुए जगनेर के रास्ते आगरा आ सकता है। कृषि विभाग ने किसानों को अलर्ट किया है। सीमावर्ती क्षेत्र में छिड़काव के लिए 205 ट्रैक्टर भी तैनात किए गए हैं। जिला कृषि अधिकारी डॉ. रामप्रवेश वर्मा ने बताया कि सोमवार को टिड्डी दल के आगरा में प्रवेश करने की आशंका है। अगर टिड्डी दल दिखे तो 0522-2732063 पर फोन कर जानकारी दे सकते हैं। टिड्डी दल शाम को छह-सात बजे जमीन पर बैठता है, इसी वक्त कीटनाशक का छिड़काव कर दें।

लखीमपुर खीरी
कोरोना महामारी के बीच टिड्डियों का दल किसानों की फसल निगलना चाह रहा है, जो बुंदेलखंड क्षेत्र में दस्तक दे चुका है। इससे बचाव को लेकर कृषि विभाग ने किसानों के लिए अलर्ट जारी किया है कि अपनी फसलों को टिड्डी दल के हमले से बचाने के लिए सतर्क हो जाएं। कृषि विभाग ने टिड्डी दल का प्रकोप होने पर टिन के खाली डिब्बे या थाली बजाते हुए शोर मचाने की सलाह दी है।

जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ इंद्रेषु कुमार गौतम ने बताया है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए टिड्डी दल उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है। टिड्डी दल के आक्रमण की निगरानी के लिए सभी किसान जागरूक रहें, जिससे समय रहते नियंत्रण किया जा सकता है। टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए ग्राम प्रधान, प्राविधिक सहायकों, लेखपालों और ग्राम विकास अधिकारियों के माध्यम से जिला प्रशासन तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं।

मेरठ
राजस्थान और मध्य प्रदेश में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाने के बाद पाकिस्तानी टिड्डी दल ने उत्तर प्रदेश में भी दस्तक दे दी है। इसे देखते हुए डीएम अनिल ढींगरा ने रविवार को अलर्ट जारी कर किसानों को चौकन्ना रहने की सलाह दी है। डीएम ने बताया कि टिड्डी दल के राजस्थान और मध्य प्रदेश के रास्ते होते हुए झांसी, ललितपुर, जालौन आदि जनपदों में पहुंचने की सूचना मिली है। विशेषज्ञों के अनुसार टिड्डी कीट का आकार 2 से 2.5 इंच का होता है। यह 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से एक दिन में 200 किलोमीटर तक उड़ने की क्षमता रखता है। यह लाखों करोड़ों की संख्या में झुंड के रूप में 3 से 5 किलोमीटर में एक साथ उड़ते हैं। ये जहां से गुजरते हैं वहां बादल की तरह अंधेरा छा जाता है और लगभग 15 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैल जाता है। टिड्डी अपने वजन से अधिक भोजन खाती है। हरी पत्तियां एवं उस पर लगे फूल, फसल के बीज आदि टिड्डी के पसंदीदा हैं।

बदायूं 
वहीं, बदायूं जनपद में जिला कृषि अधिकारी ने कंट्रोल रूम खोल दिया है। यहां शिफ्ट के अनुसार तीन कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है जो किसानों को टिड्डी से बचाव की पूरी जानकारी देंगे।

प्रतापगढ़
टिड्डी दल को लेकर कृषि विभाग अलर्ट हो गया है। झुंड में चलने वाला यह दल हरी फसलों की हरी पत्तियां को चंद मिनटों में चट कर जाता है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश के साथ टिड्टी दल यूपी के ललितपुर तक दस्तक दे दी है। कृषि विशेषज्ञ इसकी रोकथाम को लेकर अब किसानों से सीधा संवाद कर रहे हैं।
जिले में साढे़ चार लाख पंजीकृत किसान हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के अुनसार जिले में 98 हजार हेक्टेअर में धान की खेती होती है। जिले के लालगंज, पट्टी, कुंडा, रानीगंज व सदर सहित  सभी तहसीलों में धान की खेती किसान प्रमुख रूप से करते हैं। इस बार गेहूं की फसल में किसानों को ओला, बारिश व तूफान की मार झेलनी पड़ी।

शाहजहांपुर
कोरोना महामारी संकट काल में सब्जियों की खेती में हो रहे घाटे से किसान पहले से परेशान हैं। इस हालात में कृषि पर टिड्डियों के मंडराते खतरे ने किसानों की चिंता और बढ़ा दी है। कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के रास्ते टिड्डियों का दल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जनपदों में हमला कर सकता है। इन जिलों में शाहजहांपुर भी शामिल है। इसे देखते हुए कृषि रक्षा विभाग ने टिड्डियों से बचाव के लिए किसानों के गाइडलाइन जारी करने के साथ टिड्डियों के सफाए के लिए कई सुझाव दिए हैं। टिड्डी दल के आने की सूचना देने के लिए ब्लॉक स्तर की कृषि रक्षा इकाइयों पर कंट्रोल रूम खोलकर कनिष्ठ प्राविधिक सहायकों को प्रभारी नियुक्त कर दिया है।

फिरोज़ाबाद
जिला कृषि विभाग ने टिड्डी दल को लेकर एडवाइजरी जारी की है। विभाग ने कहा है किसी भी समय टिड्डी दल आगरा में प्रवेश कर सकता है। आगरा से लगा हुआ जनपद फिरोजाबाद है, इसलिए यहां भी टिड्डी के प्रकोप की संभावना है। जनपद फिरोजाबाद में टिड्डी दल के आक्रमण का खतरा मंडरा रहा है। यह भारतपुर या करौली जनपद के रास्ते आगरा होते हुए जनपद फिरोजाबाद में प्रवेश कर सकता है।

झांसी
अगले दो दिनों के भीतर करोड़ों टिड्डियों के दो दल झांसी में प्रवेश कर सकते हैं। दोनों दलों के अलग-अलग दिशाओं से यहां दाखिल होने की संभावना जताई जा रही है। ये दोनों दल बीते शुक्रवार को झांसी पहुंचे टिड्डी दल से कहीं अधिक बड़े हैं। इसे लेकर प्रशासन ने अलर्ट जारी कर दिया है। शुक्रवार की शाम तकरीबन पांच बजे अचानक महानगर के आसमान में करोड़ों की संख्या में कीट मंडराने लगे थे। ग्वालियर रोड दिशा से आगे बढ़ता हुआ टिड्डियों का दल महानगर में प्रवेश कर गया था। महानगर से होता हुआ ओरछा की ओर आगे बढ़ गया था। ओरछा के पास आजादपुरा में रात में ये हरियाली में अपना डेरा डाले रहा। शनिवार की सुबह यहां से टिड्डी दल बरुआसागर, रानीपुर, कटेरा, बंगरा होते हुए टीकमगढ़ की ओर बढ़ गया। लेकिन, खतरा अब भी टला नहीं है। टिड्डियों के दो बड़े दलों के झांसी आने की संभावना जताई जा रही है।

कानपुर देहात
जिले में उर्द, मूंग व मक्का की फसलों पर टिड्डियों का हमला हो सकता है। उप कृषि निदेशक विनोद कुमार यादव ने किसानों को सचेत किया है। सलाह दी है कि किसान फसल बचाने के उपाय करें। उन्होंने बताया कि बचाव नहीं किया तो टिड्डी घंटे भर में फसलों को चट कर सकती हैं। फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ. अभिमन्यु यादव ने बताया कि टिड्डी दल राजस्थान से होकर झांसी पहुंच गया है। यह कीट शाम छह से आठ बजे के बीच खेतों में पहुंचकर फसलों के हरे पत्तों को नुकसान पहुंचाते हैं। ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से आवाज करके कीट से बचा जा सकता है। खेतों में कल्टीवेटर या रोटावेटर चलाकर टिड्डी व उनके अंडों को नष्ट किया जा सकता है।

इस तरह फसलों के लिए घातक बनता है टिड्डी दल

टिड्डे की एक प्रजाति रेगिस्तानी टिड्डा सामान्यत: सुनसान इलाकों में पाया जाता है। ये एक अंडे से पैदा होकर पंखों वाले टिड्डे में तब्दील होता है, लेकिन कभी-कभी रेगिस्तानी टिड्डा खतरनाक रूप ले लेता है। जब हरे-भरे घास के मैदानों पर कई सारे रेगिस्तानी टिड्डे इकट्ठे होते हैं तो ये निर्जन स्थानों में रहने वाले सामान्य कीट-पतंगों की तरह व्यवहार नहीं करते बल्कि एक साथ मिलकर भयानक रूप अख्तियार कर लेते हैं।

आसमान में उड़ते हुए इन टिड्डी दलों में दस अरब टिड्डे हो सकते हैं। ये सैकड़ों किलोमीटर क्षेत्र में फैले हो सकते हैं। ये झुंड एक दिन में 200 किलोमीटर का रास्ता तय कर सकते हैं। एक दिन में टिड्डों के ये झुंड अपने खाने और प्रजनन के मकसद से इतने बड़े क्षेत्र में लगी फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के मुताबिक एक औसत टिड्डी दल ढाई हजार लोगों का पेट भरने लायक अनाज को चट कर सकता है।

अगले महीने पूर्वी अफ्रीका से भारत, पाकिस्तान की ओर बढ़ सकते हैं: संरा अधिकारी
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि एजेंसी के एक शीर्ष अधिकारी ने आगाह किया कि आजीविका और खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले मरुस्थलीय टिड्डियों का दल अगले महीने पूर्वी अफ्रीका से भारत और पाकिस्तान की ओर बढ़ सकता है और उनके साथ अन्य कीड़ों के झुंड भी आ सकते है। मरुस्थलीय टिड्डी को दुनिया में सबसे विनाशकारी प्रवासी कीट माना जाता है और एक वर्ग किलोमीटर में फैले एक झुंड में आठ करोड़ तक टिड्डी हो सकती हैं।

खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) के सीनियर लोकस्ट फॉरकास्टिंग ऑफिसर कीथ क्रेसमैन ने कहा, ‘हर कोई जानता है कि हम दशकों में अब तक के सबसे खराब मरुस्थलीय टिड्डी हमले की स्थिति का सामना कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘ये पूर्वी अफ्रीका में हैं जहां उन्होंने आजीविका तथा खाद्य सुरक्षा को दुष्कर बना दिया है लेकिन अब अगले महीने या उसके बाद ये अन्य इलाकों तक फैलेंगी और पश्चिम अफ्रीका की ओर बढ़ेंगी।’ उन्होंने गुरुवार को एक ऑनलाइन सम्मेलन में कहा कि ये हिंद महासागर पार करके भारत और पाकिस्तान जाएंगी।

भारत ने इससे निपटने के लिए पाकिस्तान, ईरान को प्रस्ताव दिया
भारत ने क्षेत्र में तेजी से बढ़ते रेगिस्तानी टिड्डियों के खतरे से निपटने के लिए पाकिस्तान और ईरान को एक समन्वित रुख की पेशकश की है। रेगिस्तानी टिड्डियों को सबसे विनाशकारी प्रवासी कीट माना जाता है, जो अफ्रीका सहित विश्व के कई हिस्सों में खाद्य सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा पेश कर रहा है।

सूत्रों ने बताया कि भारत ने पाकिस्तान और ईरान को रेगिस्तानी टिड्डियों से निपटने के लिए एक समन्वित प्रतिक्रिया की पेशकश की गई है। सूत्रों के अनुसार, हालांकि, भारत के प्रस्ताव पर पाकिस्तान का जवाब आना बाकी है, वहीं ईरान ने रेगिस्तानी टिड्डियों को रोकने के लिए एक संयुक्त रुख के बारे में अपनी तैयारी से अवगत करा दिया है।

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