लद्दाख तनाव पर बोले वायुसेना प्रमुख- चीन के साथ न युद्ध की स्थिति और न ही शांति की, मगर दुस्साहस का जवाब देने को हम तैयार

पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को लेकर चीन के साथ जारी तनातनी के बीच वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि यहां पर वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य असहज स्थिति में है। यहां पर ना ही युद्ध की स्थिति है और ना ही शांति बनी हुई है। हालांकि, हम किसी भी दुस्साहस का जवाब देने को तैयार हैं।बता दें कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले पांच महीने से दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव जारी है।

एक कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने कहा कि वायुसेना किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए पूरी तरह संकल्पित है। भारतीय वायु सेना ने तेजी के साथ हर स्थिति का जवाब दिया है और क्षेत्र में किसी भी दुस्साहस का मुकाबला करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।

वायु सेनाध्यक्ष ने कहा कि हमारे उत्तरी सीमाओं पर वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य असहज स्थिति में है। यहां न तो कोई युद्ध की स्थिति है और न कोई शांति की। जैसा कि आप जानते हैं  हमारे रक्षा बल किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं।

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि चिनूक, अपाचे और अन्य विमानों के बेड़े के साथ राफेल लड़ाकू विमानों के आने से वायुसेना को मजबूत रणनीतिक क्षमता हासिल हुई है। भविष्य में होने वाले किसी भी संघर्ष में वायुशक्ति हमारी जीत में अहम कारक रहेगी।

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि पूर्व में हासिल किये गए सी-17 ग्लोबमास्टर, चिनूक और अपाचे हेलीकॉप्टरों के साथ हाल में वायुसेना में शामिल राफेल लड़ाकू विमानों ने वायुसेना की सामरिक और रणनीतिक क्षमता में पर्याप्त बढ़ोतरी की है। भारतीय एरोस्पेस उद्योग से जुड़े एक सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने कहा, ‘भविष्य में होने वाले किसी भी संघर्ष में वायुशक्ति हमारी जीत में अहम कारक रहेगी। इसलिये यह जरूरी है कि वायुसेना अपने दुश्मनों के खिलाफ तकनीक बढ़त हासिल करे और उसे बरकरार रखे।’

फ्रांस में निर्मित पांच बहुउद्देशीय राफेल लड़ाकू विमानों को 10 सितंबर को वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया। विमानों का यह बेड़ा पिछले कुछ हफ्तों से पूर्वी लद्दाख में उड़ान भर रहा है। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि हलके लड़ाकू विमान तेजस की दो स्क्वाड्रन और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों में कुछ स्वदेशी हथियारों को बेहद कम समय में लगाया जाना देश के स्वदेशी सैन्य उपकरण बनाने की क्षमता को दर्शाता है।

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