भारत में कई प्राचीन मंदिर हैं और हर मंदिर से जुड़ी कोई न कोई कहानी होती है, लेकिन हम आपको कोई कहानी नहीं, बल्कि आँखों देखा सच दिखाने जा रहे हैं। बात जब देवों के देव महादेव की हो तो ऐसा हो ही नहीं सकता कि उस घटना से कोई चमत्कार न जुड़ा हो।
महादेव का चमत्कारी मंदिर
आज हम बात कर रहे हैं गुजरात के कैम्बे तट स्थित स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के बारे में। यह चमत्कारी मंदिर पूरे दिन भर में दो बार समुद्र में समां जाता है। इस अद्भुत आस्था के चमत्कार को देखने के लिए पूरे देश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग आते हैं।
कार्तिकेय ने की थी शिवलिंग की स्थापना

मान्यता के अनुसार शिवपुराण के अनुसार ताड़कासुर नामक असुर को केवल शिवपुत्र ही मार सकते थे और शिवपुत्र की उम्र उस समय मात्र 6 दिन होनी चाहिए, वरदान पाकर अभिमानी ताड़कासुर ने निर्दोषों के ऊपर अत्याचार करना शुरू कर दिया ।
असुर के वध करने की प्रार्थना की
दुखी होकर ऋषि-मुनि भगवान शिव के पास जाकर उस असुर के वध करने की प्रार्थना की, तभी भगवान शिव ने श्वेत पर्वत कुंड से कार्तिकेय को उत्पन्न किया। जिसके बाद कार्तिकेय ने ताड़कासुर का वध किया।

आज भी मांगता है अपने किये की माफ़ी
असुर के मौत के बाद कार्तिकेय को उसके शिव भक्त होने का ज्ञान हुआ, जिसके कारण कार्तिकेय को बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई।

भगवान विष्णु ने बताया उपाय
भगवान विष्णु ने एक उपाय बताया कि वह यहां पर शिवलिंग स्थापित करें और रोज़ माफ़ी मांगें।

आज भी ये मंदिर रोज समुद्र में डूबकर और फिर वापस आकर अपने किये की माफी मांगता है।

अब आप सोच रहे होंगे कि यहां  कैसे पहुंचे?
यह मंदिर गुजरात के प्रमुख शहर वडोदरा से 85 किलोमीटर दूर है यहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए कई बसें व अन्य साधन उपलब्ध रहते हैं।

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