लद्दाख में भारत चीन सीमा पर तनाव बढ़ गया है। इस बीच बुधवार को अमेरिका ने भारत का साथ देते हुए चीन के रवैये की आलोचना की है। अमेरिका की वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ ने चीन के व्यवहार को उकसाने और परेशान करने वाला बताया है।

भारतीय और चीनी सेनाओं ने तीखी झड़प के करीब दो सप्ताह बाद आक्रामक रूख अपनाते हुए लद्दाख में गलवान घाटी और पांगोंग त्सो झील के आसपास के क्षेत्रों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी है। सैन्य सूत्रों ने बुधवार को यह जानकारी दी। भारत के शीर्ष सैन्य अधिकारी लगातार स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। वहीं अमेरिका ने कहा कि चीनी सैनिकों का आक्रामक व्यवहार चीन द्वारा पेश खतरे की याद दिलाता है।

अमेरिकी विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो की निवर्तमान प्रमुख एलिस वेल्स ने कहा कि उन्हें लगता है कि सीमा पर तनाव एक चेतावनी है कि चीनी आक्रामकता हमेशा केवल बयानबाजी ही नहीं होती है। चाहे दक्षिण चीन सागर हो या भारत के साथ लगी सीमा हो, हम चीन द्वारा उकसावे और परेशान करने वाला व्यवहार देख रहे हैं। यह दिखाता है कि चीन अपनी बढ़ती ताकत का किस तरह इस्तेमाल करना चाहता है।

वेल्स ने दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रमता की भी चर्चा की। पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करने वाले चीन का वियतनाम, मलेशिया, फिलिपींस, ब्रूनेई और ताइवान के साथ विवाद है। उसने दक्षिण चीन सागर में कई द्विपों पर सैन्य ठिकाने बना लिए हैं। यह इलाका खनिज का धनी है और वैश्विक व्यापार के लिए भी अहम रूट है।

वेल्स ने कहा, ”इसलिए आप देख रहे हैं कि एक समान विचार वाले देश एकत्रति हो रहे हैं। चाहे वह आशियान के जरिए या या दूसरे कूटनीतिक समूहों के जरिए।” उन्होंने कहा कि अमेरिका, जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और दूनिया के दूसरे देश द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बने आर्थिक सिद्धातों को लागू करने का प्रयास कर रहे हैं, जो सबके लिए मुक्त और खुले व्यापार की बात करता है।

उन्होंने कहा, ”हम एक ऐसा वैश्विक तंत्र चाहते हैं जिसमें सभी का फायदा हो ना कि ऐसा कोई सिस्टम जिसमें चीन का आधिपत्य हो। मुझे लगता है कि सीमा विवाद का यह उदाहरण चीन द्वारा उत्पन्न खतरे की याद दिलाता है।”

सूत्रों ने कहा कि चीनी सैनिकों ने पांगोंग झील के आसपास के क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति काफी बढ़ा दी और यहां तक ​​कि झील में अतिरिक्त नाव भी ले आए हैं। सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों ने डेमचौक और दौलत बेग ओल्डी जैसे स्थानों पर अधिक सैनिक तैनात किए हैं।

गालवान के आसपास का क्षेत्र पिछले छह दशकों से दोनों पक्षों के बीच विवाद का बिंदु रहा है। सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष ने गलवान घाटी क्षेत्र में बड़ी संख्या में टेंट लगा दिए हैं। इसके बाद भारत ने भी इलाके में चौकसी बरतने के लिए अतिरिक्त सैनिक भेजे हैं। सूत्रों ने कहा कि चीनी पक्ष ने भारत द्वारा गलवान नदी के आसपास एक महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण पर आपत्ति जताई है। 5 मई को लगभग 250 भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और डंडों के साथ झड़प हुयी। इसमें दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए।

दोनों सेनाओं के बीच बढ़ते तनाव पर न तो सेना और न ही विदेश मंत्रालय ने कोई टिप्पणी की है। समझा जाता है कि विवादित सीमा की रक्षा में आक्रामक रूख के बीच उत्तरी सिक्किम के कई इलाकों में भी अतिरिक्त सैनिकों को भेजा गया है।

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