पूर्वी भारत में 21 साल के बाद कोई अत्यधिक गंभीर चक्रवाती तूफान (सुपर साइक्लोन) आया है। 1999 के चक्रवात में 10 हजार लोगों की मौत हो गई थी। वैसे 2018 और 2019 में देश में सात-सात तूफान आए हैं, लेकिन इतने प्रचंड चक्रवात 1999 में साइक्लोन ओ-5बी या पारादीप साइक्लोन और 1885 में फाल्स प्वाइंट चक्रवात आए थे। हालांकि, इतने सालों में बहुत कुछ बदल गया है। सरकारों ने इनसे काफी सबक सीखे हैं।

सबसे ताजा मई 2019 में गंभीर चक्रवाती तूफान फैनी आया था। 2019 के चक्रवात फैली से 1999 के मुकाबले ओडिशा कम प्रभावित हुआ। विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाने में कामयाब रही। यह आपदा की तैयारी और त्वरित प्रतिक्रिया की एक बहुत प्रभावी रणनीति का परिणाम है। अब तूफानों से निपटने के लिए सरकार और आपदा प्रबंधन दल तूफानी गति से काम करते हैं।

जीरो कैजुअल्टी की नीति और सटीक अनुमान: विशेषज्ञों का कहना है कि प्राकृतिक आपदाओं के लिए केंद्र सरकार की ‘जीरो कैजुअल्टी’ नीति और मौसम विभाग की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली की सटीकता इसमें मददगार साबित हुई। 2019 के चक्रवात फैनी में सरकार ने 48 घंटों से कम समय में रिकॉर्ड 12 लाख लोगों को निकाला था और लगभग 9,000 आश्रय स्थल रातोंरात शुरू किए गए थे। इसमें 45,000 से अधिक स्वयंसेवकों ने मदद की।

पहले के सबक काम आए:
1999 में ओडिशा राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की स्थापना की गई।
900 चक्रवात आश्रय बनाए गए हैं, जिसमें हजारों लोगों को रखने की व्यवस्था है।
2001 में ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स स्थापित की गई।
मौसम विभाग ने बंगाल की खाड़ी में चक्रवात की सटीक भविष्यवाणी प्रणाली तैयार की।
सूचना देने के लिए बेहतर एवं प्रभावी संचार प्रणाली स्थापित की गई।
चक्रवात से पहले स्थानीय भाषा में चेतावनी संदेश भेजना, नियमित प्रेस ब्रीफिंग आदि।
कई सरकारी एजेंसियां ​​और स्वयंसेवी संगठन एक साथ काम करने लगे हैं।
समय पूर्व आपदा प्रतिक्रिया बल तैनात किए गए।
सेनाओं का भी सहयोग लिया जाता है।
राहत एवं बचाव कार्यों में वायुसेना के हेलीकॉप्टर के लिए एयर-ड्रॉपिंग केंद्र बनाए गए।

भारत को 80 अरब डॉलर की क्षति : संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के कारण गत दो दशकों में आई प्राकृतिक आपदाओं से भारत को 79.5 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है।

कब-कौनसे बड़े तूफान आए :
1999 में ओ-5बी से 10,000 लोग मारे गए : 29 अक्तूबर, 1999 को ओडिशा के तट से साइक्लोन ओ-5बी या पारादीप साइक्लोन टकराया था। इसमें लगभग 10,000 लोग मारे गए और लाखों लोग बेघर हुए। 14,643 गांव प्रभावित हुए, 4.44 लाख पशुधन नष्ट हुए, 3.23 लाख हेक्टेयर फसल नष्ट हो गईं। कुल नुकसान लागत 4.44 अरब डॉलर आई थी। आईएमडी की एक रिपोर्ट के अनुसार, 1999 का चक्रवात 19-23 सितंबर 1885 के फाल्स प्वाइंट चक्रवात जैसा था।

2019 चक्रवात फैनी से सिर्फ 64 मौतें: भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी में एक दुर्लभ ग्रीष्मकालीन चक्रवात, फैनी 03 मई को आया। यह पिछले 20 वर्षों में भारत में सबसे शक्तिशाली चक्रवात में से एक था। शक्तिशाली हवाओं ने छतों को उड़ा दिया, बिजली की लाइन क्षतिग्रस्त कर दीं और अनगिनत पेड़ उखाड़ दिए। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चक्रवात के कारण 64 लोगों की जान गई थी।

अन्य छोटे-बड़े तूफान :
2019 में बुलबुल : बुलबुल तूफान का लैंडफाल सागरद्वीप के पास 9 नवंबर की शाम को हुआ था। इस तूफान में तीन लोगों की मौत हुई थी। लगभग 1.30 लाख कच्चे मकान ध्वस्त हो गए थे। भारी बारिश की वजह से कई इलाकों में बाढ़ आ गई थी।

2018 में तितली : बंगाल की खाड़ी में उठे ‘तितली’ तूफान ने ओडिशा, आंध्रप्रदेश में भारी तबाही मचाई। तूफान के कारण आंध्रप्रदेश में आठ लोगों की मौत हो गई थी। तूफान ओडिशा के गोपालपुर तट से टकराया था।

2017 में ओखी : नवंबर 2017 को दक्षिण-पश्चिम में बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव से ओखी तूफान बना। इससे 365 लोगों की मौत हो गई।

2014 में हुदहुद : आंध्र प्रदेश और ओडिशा में चक्रवात हुदहुद के दौरान कम से कम 24 लोग मारे गए हैं। हालांकि, सरकारी और निजी संपत्तियों का काफी नुकसान हुआ था।

2013 में फैलिन : तूफान फैलिन भारतीय तट से टकराने वाले सबसे ताकतवर तूफानों में से एक है। इससे 30 लोगों की मौत हुई थी।

2009 में आइला : सुंदरवन में 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आइला तूफान आया था। तूफान के कारण 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और करीब एक लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हुए थे।

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