प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना महामारी के बीच शुक्रवार को देशवासियों के साथ 12 मिनट का एक वीडियो मैसेज साझा किया। उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ अब तक 9 दिन के लॉकडाउन में लोगों ने अनुशासन का परिचय दिया। इस रविवार 5 अप्रैल रात 9 बजे आप सब 9 मिनट घर की लाइटें बंद कर मोमबत्ती, टॉर्च, दीये या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाएं। 16 दिन में मोदी का यह देश के लोगों को तीसरा संबोधन था।

  • ये करें: दीया, मोमबत्ती या मोबाइल की फ्लैश लाइट जलाएं। कुछ पल अकेले बैठकर मां भारती का स्मरण करें।
  • ये न करें: घर से बाहर न जाएं। सोशल डिस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा न तोड़ें। कोरोना की चेन तोड़ने का यही रामबाण इलाज है।
  • प्रेरित भी किया: कोरोना संकट को हराने के लिए प्रकाश के तेज को चारों ओर फैलाना है। कोई अकेला नहीं है। दुनिया में ऐसा कुछ नहीं है, जो हम ताकत से हासिल न कर पाएं।

कोरोना के खिलाफ लॉकडाउन को आज नौ दिन हो रहे हैं। आप सभी ने अनुशासन, सेवा का परिचय दिया है। प्रशासन ने भी स्थिति को संभाला है। आपने जिस तरह 22 मार्च को जैसे कोरोना फाइटर्स को धन्यवाद दिया। उसे पूरी दुनिया अपना रही है। हमने दुनिया को भारत की सामूहिक शक्ति का अहसास कराया है।’’

आज देश के करोड़ों लोग घरों में हैं तो किसी को भी लग सकता है कि कितने दिन और काटने पड़ेंगे। साथियों ये समय अकेले रहने का जरूर है, लेकिन हममें से कोई अकेला नहीं है। देश की भव्यता की अनुभूति करनी जरूरी है। जनता महाशक्ति है, ये लड़ाई आपके बगैर संभव नहीं है। कोरोना के अंधकार के बीच हमें प्रकाश की ओर जाना है। गरीब भाई-बहनों को कोरोना से पैदा हुई निराशा से आशा की ओर लेकर जाना है। अंधकार मय कोरोना को हराने के लिए प्रकाश फैलाना है। रविवार 5 अप्रैल को हमें 130 करोड़ देशवासियों के संकल्प को नई ऊंचाई पर लेकर जाना है। इस रात 9 बजे 9 मिनट तक आप घर की लाइटें बंद करके दरवाजे पर मोमबत्ती, दिया या मोबाइल लाइट जलाएं।

इस दौरान प्रकाश की महाशक्ति का अहसास होगा और इससे पता चलेगा कि कोई अकेला नहीं है। हम सभी देशवाली एक संकल्प के लिए साथ हैं। इस दौरान कोई घर से बाहर न जाए और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें। कोरोना की चेन तोड़ने का यही रामबाण इलाज है। 5 अप्रैल को 5 मिनट बैठकर मां भारती का स्मरण करिए और देशवासियों के बारे में सोचिए। दुनिया  में ऐसा कुछ नहीं है, जो हम ताकत से हासिल न कर पाएं। आइए एक साथ कोरोना को हराएं।

29 मार्च को प्रधानमंत्री ने मन की बात में लॉकडाउन के कारण लोगों को हुई परेशानियों के लिए माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि बीमारी से पहले ही इसके उपाय कर लेना चाहिए। कोरोना का इंसान को खत्म करने की जिद पर अड़ा है। ये जीवन और मृत्यु की लड़ाई है। इसलिए सब लोगों को एकजुट होकर लॉकडाउन का पालन करने का संकल्प लेना होगा। लॉकडाउन में धैर्य दिखाना ही है। कुछ लोग कोरोना गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं। लेकिन मैं कहता हूं कि इस गलतफहमी में न रहें, कई देश बर्बाद हो गए। कोरोना से लड़ाई में योगदान दे रहे लोगों का सम्मान करें। गरीब और जरूरतमंदों की मदद करें।

24 मार्च को मोदी ने कहा था, “हिंदुस्तान को बचाने के लिए 21 दिन का यह लॉकडाउन बेहद जरूरी है। यह जनता कर्फ्यू से ज्यादा सख्त होगा और यह एक तरह से कर्फ्यू ही है। बाहर निकलना क्या होता है, यह 21 दिन के लिए भूल जाइए। 21 दिन नहीं संभले तो आपका देश और आपका परिवार 21 साल पीछे चला जाएगा। कोरोना से मुकाबले के लिए सोशल डिस्टेंसिंग जरूरी है। हमें संक्रमण के चक्र को तोड़ना होगा। कोरोना से तभी बचा जा सकता है, जब घर की लक्ष्मण रेखा न लांघी जाए।”

देशभर में 2 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। कोरोना को लेकर मोदी लगातार सभी राज्यों के संपर्क में हैं। गुरुवार को उन्होंने मुख्यमंत्रियों के साथ दूसरी बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना के खिलाफ जागरूकता अभियान में धर्मगुरुओं की मदद ली जाए।मोदी इस महामारी के खतरे के बीच 3 बार राष्ट्र के नाम संबोधन दे चुके हैं। 19 मार्च को पहली बार देश के नाम संबोधन में उन्होंने 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाने और कोरोना फाइटर्स के सम्मान में ताली-थाली बजाने को कहा था। 24 मार्च के दूसरे संबोधन में 21 दिन के लॉकडाउन की बात कही थी। यह लॉकडाउन 14 अप्रैल को खत्म होगा। कोरोनावायरस के संक्रमण की चपेट में आने से देश में अब तक 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

 

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