स्कूल में बने जेल के कोविड-19 सेंटर में ही बीती अर्नब गोस्वामी की दूसरी रात, जानें इस केस के बारे में सबकुछ

रिपब्लिक टेलीविजन के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी की अंतरिम जमानत याचिका पर शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई की खबर के बाद 47 वर्षीय पत्रकार को कोविड -19 केंद्र बने अलीबाग नगर परिषद स्कूल में एक और रात बितानी पड़ी। उन्हें मुख्य जेल में शिफ्ट करने से पहले, अगर उनकी जमानत याचिका मंजूर नहीं की जाती है, तो उनका कोविड -19 टेस्ट किया जाएगा। गोस्वामी को बुधवार को मुंबई में उनके लोवर परेल वाले घर से गिरफ्तार किया गया और फिर 2018 के आत्महत्या मामले में अलीबाग ले जाया गया। बता दें कि इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गोस्वामी को हिरासत में लिया है।

1. बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को मामले की सुनवाई की और इसे आज के लिए आगे बढ़ा दिया क्योंकि वे अन्वय नाइक की पत्नी अक्षता नाइक की उपस्थिति भी चाहते थे। महाराष्ट्र सरकार और अक्षता नाइक  इस मामले में रेस्पोंडेंट हैं।

2. गुरुवार को अलीबाग पुलिस ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के पहले के आदेश (जिसमें गोस्वामी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था) को रद्द करने की मांग करते हुए सत्र न्यायालय में एक संशोधन आवेदन पेश किया। लेकिन संभावना है कि गोस्वामी को आज अंतरिम राहत मिल सकती है।

3. वर्तमान में, अलीबाग अदालत के समक्ष कोई जमानत याचिका नहीं है क्योंकि गोस्वामी के वकील अबद पोंडा ने कहा कि चूंकि मामला अब सेशन कोर्ट के पास है, इसलिए याचिका वापस ले ली गई।

4. गोस्वामी 18 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में हैं।

5. पुलिस ने बुधवार रात मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनैना पिंगले द्वारा पुलिस हिरासत से इनकार किए जाने के बाद पुनरीक्षण आवेदन दायर किया और गिरफ्तारी को प्रथम दृष्टया अवैध ’करार दिया। पुलिस ने अपने संशोधन आवेदन में कहा कि मजिस्ट्रेट की अदालत ने गोस्वामी और दो अन्य गिरफ्तार अभियुक्तों की हिरासत की मांग करते हुए अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत किए गए दाखिलों और आधार पर विचार नहीं किया।

अलीबाग मजिस्ट्रेट अदालत का पुलिस हिरासत से इनकार, उठाए ये दो मुद्दे-

-क्या कुमोदिनी (अन्वय की माँ) ने आत्महत्या कर ली थी? अभियोजन पक्ष के पास इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं है। अदालत ने कहा कि कुमोदिनी नाइक और अन्वय नाइक और तीनों गिरफ्तार आरोपियों की मौतों के बीच पुलिस एक कड़ी स्थापित नहीं कर पाई है।

-अदालत ने पाया कि 2018 में पिछली पुलिस टीम द्वारा की गई जांच में उन्हें तथाकथित रूप से दोषी नहीं ठहराया गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here