यूरोपीय देशों के साथ तल्खी भरे सबंधों को दुरुस्त करने के लिए पांच दिवसीय दौरे पर गए चीन के विदेश मंत्री वांग यी को इसमें कोई सफलता नहीं मिल पाई। ब्लूमबर्ग में छपी आर्टिकल में यह बताया गया है कि कैसे चीन की ‘बलपूर्वक कूटनीति’ यूरोपीय देशों में बैकफायर कर रही है।

रोम से चीनी विदेश मंत्री ने आधिकारिक दौरे की शुरुआत की थी और उन्हें कनाडा व इटली के साथ चीन के संबंधों को ठीक करना था। ऐसा इसलिए क्योंकि इटली के अधिकारियों ने इससे पीछे उनकी कनाडा के विदेश मंत्री फ्रेंकोइस-फिलिप शैम्पेन से बिना शेड्यूल बैठक कराई थी।

यहां पर गौर करने वाली बात ये है कि चीन और कनाडा के बीच रिश्ते उस वक्त खराब हो गए थे जब ओटावा ने साल 2018 में अमेरिका के कहने पर हुवेई के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसल मेंग वेंझोऊ को गिरफ्तार किया था। इसकी जवाबी कार्रवाई करते हुए बीजिंग ने दो कनाडा के नागरिकों को हिरासत में ले लिया था।

ओस्लो यात्रा के दौरान वांग को हांगकांग में लोकतंत्र के समर्थन में हो रहे प्रदर्शन को लेकर सवालों के बौछार का सामना करना पड़ा था। इसके जवाब में चीनी विदेश मंत्री ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को नोबल शांति पुरस्कार दिए जाने को चीन आंतरिक मामलों में दखल मानेगा। नॉर्वे और चीन के बीच रिश्ते उस वक्त खटासपूर्ण हो गए थे जब चीनी कार्यकर्ता लियू लियू शियाओबो को नोबल शांति पुरस्कार दिया गया था।

वांग के आखिरी पड़ाव बर्लिन में यह पूरा मुद्दा ताइवान पर आ गया। चीन के विदेश मंत्री ने इससे पहले कहा था चेक गणराज्य सीनेट अध्यक्ष मिलो विस्ट्रमिसिल को ताइवान दौरे के लिए उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगा, जिसे बीजिंग अपना प्रांत मानता है। उनकी इस टिप्पणी के बाद जर्मनी के विदेश मंत्री हेईको मास काफी नाराज हो नाराज किया, जो खुद उस वक्त वांग के साथ उस मंच पर उनके साथ मौजूद थे।

ब्लूमबर्ग ने अपने आर्टिकल में लिखा है, “जिन मुद्दों पर यूरोप और चीन एक दूसरे से आंखें नहीं मिला रहे हैं, उनके असंख्य मुद्दे अभी भी सतह पर हैं। पेरिस में, उदाहरण के लिए, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने वांग के साथ अपनी बैठक में मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धाओं को पालन करने को कहा, लेकिन यह निजी तौर पर था। समें आगे कहा गया है, वांग के इस दौर के बावजूद बीजिंग के साथ यूरोप के संबंध में शायद ही किसी तरह का कोई सुधार हो।

चीन के साथ ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते उस वक्त खराब हुए थे जब एक ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार चेंग लेई को हिरासत में ले लिया गया था। बीजिंग में रहकर सीजीटीएन के लिए काम करने वाले पत्रकार को हिरासत में लेने का कोई कारण नहीं पता चल पाया। इधर, कैनबरा और बीजिंग के बीच शराब, बीफ, टेलीकम्युनिकेशंस गियर और दक्षिण चीन सागर में उसके दावे को लेकर लगातार शब्द बाण चल रहे हैं।