गिद्धों के संरक्षण की बड़ी पहल: देश के पहले ‘किंग वल्चर संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ को मंजूरी 

गोरखपुर वन प्रभाग में ‘जटायु (गिद्ध) संरक्षण और प्रजनन केंद्र’ की स्थापना प्रस्ताव को गुरुवार को मंजूरी मिल गई। इस आशय का पत्र पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त सचिव डॉ. दीपक कोहली ने जारी किया है। फरेंदा क्षेत्र के भारी-बैसी गांव में 5 एकड़ में यह केंद्र स्थापित किया जाएगा। यहा प्रदेश का ‘किंग वल्चर’ के संरक्षण का पहला केंद्र होगा। इसे हरियाणा के पिंजौर में स्थापित ‘जटायु संरक्षण प्रजनन केंद्र’ की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली सरकार ने इसके लिए 82 लाख रुपये को मंजूरी देते हुए प्रभागीय वन अधिकारी गोरखपुर अविनाश कुमार से जून में ही विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) मांगी थी। अविनाश कुमार ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव सुनील पाण्डेय को समय से डीपीआर भेज दी थी। जिस पर 16 सितंबर को सहमति देते हुए अनुमोदन के लिए संयुक्त सचिव कार्यालय को भेजा गया था। 15 साल के इस प्रोजेक्ट पर तकरीबन 15 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पहले वर्ष के लिए 82 लाख रुपये पहले ही मंजूर किए जा चुके हैं। भारतीय महाद्वीप पर गिद्धों की 9 प्रजातियां हैं। इनमें 3 प्रजातियां व्हाइट बैक्ड (जिप्स बेंगेंसिस), लॉन्ग-बिल्ड (जिप्स इंडिकस) और सिलेंडर-बिल्ड (जिप्स टेनुइरोस्ट्रिस) भारतीय वन्य जीव अधिनियम की अनुसूची (एक) के तहत संरक्षित हैं लेकिन इस केंद्र में किंग वल्चर के संरक्षण पर सर्वाधिक जोर होगा।

किंग वल्चर का प्रजनन एवं संरक्षण केंद्र को मंजूरी मिलना पृथ्वी पर किंग वल्चर के अस्तित्व को बचाने का एक बड़ा प्रयास है। यह पर्यावरण एवं वन्यजीव संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम है।

माइक हरगोविंद पाण्डेय, प्रख्यात पर्यावरणविद्

यह केंद्र, लुप्तप्राय गिद्धों के संरक्षण एवं संरक्षण की दिशा में काम करेगा। आज इसे शासन से मंजूरी मिली है। जल्द ही इसे जमीन पर उतारने के लिए काम शुरू किया जाएगा।

अविनाश कुमार, प्रभागीय वन अधिकारी, गोरखपुर वन प्रभाग

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