प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान हर राज्य के मुख्यमंत्री अपनी-अपनी तैयारी करके आते हैं सबकी अपनी कुछ समस्याएं होती है कुछ सुझाव होते हैं लेकिन सोमवार को कोरोना वायरस र लॉकडाउन को लेकर पीएम मोदी के साथ मुख्यमंत्रियों की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास जब कुछ बोलने का मौक़ा आया तो उन्होंने आपदा प्रबंधन कानून के प्रावधान ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पढ़कर सुनाना शुरू कर दिया. शुरू में तो कुछ लोग समझ नहीं पाए लेकिन नीतीश कुमार कोटा से छात्रों को या अन्य जगहों से मजदूरों को लाने के मामले में साफ-साफ नाराजगी जाहिर कर दी. नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कहा कि आप देख लीजिए एक्ट में एक राज्य से दूसरे राज्य में व्यक्ति और न ही वाहन जाने का प्रावधान है इसलिए हम इसका पूरा पालन कर रहे हैं. नीतीश कुमार ने कहा कि अगर केंद्र चाहे तो एक समान नीति बना दे और उन्हें अपने लोगों को वापस लाने में कोई दिक्कत नहीं हैं. लेकिन नीतीश ने कहा कि उनके पास इतने संसाधन नहीं हैं कि वो बस भेजे साथ  केंद्र से सभी लोगों की मेडिकल जांच कराने का भी आग्रह किया.  नीतीश के रुख़ से साफ़ हैं कि जैसा कुछ राज्य अपने तरफ़ से बस भेजकर छात्रों को वापस बुला रहे हैं उससे वो ख़ुश नही हैं. दूसरा वो केंद्र से इस सम्बंध में एक समान नीति बनाने का आग्रह कर ये भी संदेश देना चाहते हैं कि बच्चे हो या प्रवासी मज़दूर अगर वो फंसे हैं तो केंद्र की भी ज़िम्मेदारी बनती है.

लॉकडाउन के बारे में नीतीश ने केंद्र को समर्थन देते हुए कहा कि वो जो भी निर्णय लेंगे वो उनके साथ हैं. लेकिन आर्थिक काम काज शुरू होना चाहिए और राज्य में जो कुछ काम काज शुरू हुआ हैं उसके बारे में उन्होंने जानकारी दी. साथ-साथ यह भी कहा कि कैसे पूरे राज्य में घर घर स्क्रीनिंग के काम शुरू होने के बाद नये मरीज सामने आ रहे हैं.

कोटा में कोचिंग करने वाले बच्चों को निकालने के मुद्दे पर बोले नीतीश कुमार ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि  क्या पांच लोग सड़क पर आकर मांग करने लगेंगे तो सरकार झुक जाएगी? सरकार ऐसे काम करती है? सब संपन्न परिवारों के बच्चे हैं उनको वहां क्या दिक्कत है.  दस हजा़र बच्चों को उठा लाए. इससे बाकी राज्यों पर दबाव आ रहा है. राजस्थान की अर्थव्यवस्था को भी नुक़सान हो रहा है.

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