बिहार इलेक्शन : सुशांत के साथ हरिवंश और रघुवंश भी होंगे इस बार चुनावी मुद्दे 

बिहार में चुनावी रणभेरी बज चुकी है। चुनावी मैदान में जीत को लेकर सबों के अपने-अपने दावे भी आ रहे हैं। चुनावी मैदान में सत्ताधारी दल 15 साल बनाम 15 साल की तुलना करते हुए अपने काम के बल पर लोगों से वोट मांगेगा। सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली सहित सभी क्षेत्रों में हुए विकास के साथ ही सत्तापक्ष इस बार राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश और राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का अपमान और अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की सीबीआई जांच को भी चुनावी मैदान में भुना सकता है। जबकि विपक्ष सरकार को कृषि बिल पर घेरेगा। इसके अलावा बेरोजगारी, पलायन और सृजन घोटाला और बालिका गृह कांड को भी चुनाव में मुद्दा बनाएगा। बाढ़, प्रवासी मजदूर के अलावा शराबबंदी कानून पर भी पक्ष-विपक्ष एक-दूसरे को घेरने की कोशिश करेंगे।

सत्ता पक्ष के मुद्दे  

सरकार के काम : एनडीए राज में हुए कामों को जनता के बीच सत्ताधारी दल ले जाएगा। सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित आधारभूत संरचना के क्षेत्र में हुए कामों के अलावा सात निश्चय के तहत हुए कामों को भी सत्ताधारी दल चुनावी मुद्दा बनाएगा। नली-गली पक्की सड़क, शौचालय, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड, सरकारी नौकरियों में महिलाओं को रोजगार, मुफ्त बिजली कनेक्शन, कौशल विकास, आईआईटी, मेडिकल कॉलेज सहित तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में हुए काम जनता को बताए जाएंगे। साथ ही प्रधानमंत्री की ओर से घोषित बिहार के लिए सवा लाख करोड़ की विशेष पैकेज का भी मसला चुनाव में उठना तय है।

15 साल बनाम 15 साल : इस बार एनडीए के लिए मुख्य चुनावी मुद्दा 15 साल बनाम 15 साल होगा। लालू-राबड़ी राज के 15 साल और नीतीश सरकार के 15 सालों से तुलना करते हुए सत्ताधारी दल लोगों को शासन का फर्क बताएगा। वह चाहे बिहार के सभी गांवों तक बिजली पहुंचाने का मामला हो या सभी इच्छुक लोगों को बिजली कनेक्शन मिलने का मामला,  छह घंटे में कहीं से भी पटना आने वाली सड़क हो या मेडिकल कॉलेज, बालक-बालिका साइकिल योजना, यूपीएससी व बीपीएससी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए दी जाने वाली मदद, चुनाव में एनडीए उठाएगा। राज्य में खुले तकनीकी शिक्षण संस्थान व विश्वविद्यालय का मुद्दा भी चुनाव में उठना तय है।

परिवारवाद  : एनडीए के लिए परिवारवाद अहम मुद्दा बनने वाला है। सत्ताधारी दल की ओर से एक परिवार सब पर भारी का स्लोगन पहले ही जारी किया जा चुका है। पिछले चुनावों की तर्ज पर इस बार और जोरदार तरीके से सत्ताधारी दल हमारा परिवार-पूरा बिहार को चुनावी मैदान में ले जाएगा।

सुशांत : दिवंगत फिल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत भी इस बार चुनावी मुद्दा बनेंगे। फिल्म अभिनेता की मौत के बाद बिहार सरकार की ओर से सीबीआई जांच की प्रक्रिया को सत्ताधारी दल जरूर भुनाएगा। सुशांत को बिहारी अस्मिता बताते हुए सत्ताधारी दल महाराष्ट्र सरकार की सहयोगी रही कांग्रेस और राजद पर सवाल उठाएगा।
हरिवंश-रघुवंश का अपमान : राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश के साथ हुए व्यवहार को भी सत्ताधारी दल चुनावी मैदान में ले जाएगा। साथ ही राजद के दिवंगत नेता रघुवंश सिंह की ओर से अंतिम समय में लिखी चिट्टी को उनके अपमान से जोड़ते हुए सत्ताधारी दल चुनावी मैदान में भुनाएगा।

विपक्ष के मुद्दे 

कृषि बिल : संसद से हाल ही में कृषि बिल पारित हुआ है। विपक्ष इसे किसान विरोधी बताते हुए सरकार पर जबरिया पास कराने का आरोप लगा रहा है। विपक्षी दलों ने जिस तरह से इस मुद्दे पर भारत बंद का आह्वान किया, उससे यह साफ है कि चुनाव में यह मुद्दा बनना तय है।

महंगाई व बेरोजगारी : विपक्ष के लिए बेरोजगारी व महंगाई का मुद्दा अहम रहेगा। आम जनजीवन कैसे इससे प्रभावित हो रहा है, विपक्ष इसे चुनावी मैदान में भुनाएगा। बेरोजगारी के मसले पर विपक्ष समय-समय पर आंकड़े भी जारी करता रहा है। उन आंकड़ों को जनता के बीच विपक्ष हर हाल में ले जाएगा।

पलायन : विपक्ष के लिए पलायन एक अहम मुद्दा होगा। मजदूरों का पलायन हो या पढ़ाई के लिए छात्रों का बाहर जाना, यह मुद्दा उठना तय है। विपक्ष का आरोप भी है कि कोरोना काल में 40 लाख से अधिक लोग बिहार वापस लौटे हैं। अगर बिहार में इतना विकास हुआ है तो फिर लाखों की संख्या में लोग पलायन कैसे कर रहे हैं।

कोरोना : विपक्ष की ओर से कोरोना का मुद्दा बनाया जाना तय है। विपक्ष की ओर से बार-बार यह सवाल उठाया जाता रहा है कि सरकार केवल एंटीजन टेस्ट कर रही है, जबकि आरटीपीसीआर जांच से ही पता चलेगा कि कोरोना की क्या स्थिति है।

सृजन घोटाला व बालिका गृह कांड : विपक्षी दल सृजन व बालिका गृह कांड के मसले पर विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश करेगा। इसके अलावा विपक्ष समय-समय पर राज्य में दर्जनों घोटाला होने का आरोप लगाता रहा है। चुनाव में इसे विपक्षी दलों की ओर से उठाया जाना तय है।

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