CBSE, UP Board Exam 2021: सीबीएसई और यूपी बोर्ड ने वार्षिक परीक्षाओं की घंटी बजते ही दोनों बोर्ड से जुड़े 10वीं व 12वीं कक्षाओं के परीक्षार्थियों का तनाव बढ़ने लगा है। 30 फीसदी कोर्स घटाए जाने के बाद भी सीबीएसई बोर्ड के परीक्षार्थी समुचित तैयारी न हो पाने के चलते तनाव में हैं। सीबीएसई बोर्ड के वार्षिक परीक्षा के लिए मॉडल पेपर जारी होने से छात्रों की टेंशन बढ़ृ गई है।
इस साल बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र काफी मुश्किल में हैं। कहीं ऑनलाइन तो कहीं ऑफलाइन कक्षाएं चल रही हैं। कुल मिलाकर पढ़ाई की स्थिति डगमग है। यूपी बोर्ड के परीक्षार्थी तो सही ढंग से न तो ऑनलाइन क्लास का लाभ ले पा रहे हैं और न ही उनके स्कूलों की पढ़ाई वार्षिक परीक्षा के मुताबिक हो रही है।
वहीं, इन परीक्षार्थियों के अभिभावक यह सोचकर परेशान हैं कि उनकी संतानें परीक्षाओं की तैयारी में कहीं पिछड़ न जायं। मनोविज्ञानियों की नजर में छात्र और उनके अभिभावक-दोनों ही ‘फ्लोटिंग डिस्ट्रेस’ जैसी मनोदशा से जूझते दिख रहे हैं।
इस स्थिति की वजह भी है। सीबीएसई के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि बोर्ड की परीक्षाएं समय पर होंगी। कुछ दिन पहले बोर्ड ने मॉडल पेपर जारी कर छात्रों को तैयारी में जुट जाने का भी संकेत दे दिया है। यूपी बोर्ड ने 10वीं और 12वीं के प्रैक्टिकल पूरा कराने का निर्देश जारी कर दिया है। सीबीएसई और आईसीएसई स्कूलों में छमाही परीक्षाएं हो गई हैं। छमाही परीक्षा से ही बच्चों की तैयारी क्षमता आंकी जाती है। वहीं यूपी बोर्ड के स्कूलों में अभी टाइम-टेबुल बन रहा है।
मनोविज्ञानियों की शरण में
एग्जाम-प्रेशर के चलते तनाव में आए बच्चे व उनके अभिभावक मनोविज्ञानियों की सलाह ले रहे हैं। मंडलीय मनोविज्ञान केंद्र की मनोवैज्ञानिक बनानी घोष ने बताया कि कई बच्चे और उनके अभिभावक अपनी समस्या लेकर आए थे। उसमें कुछ बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा नहीं थी। उन्हें बताया कि छूटी हुई पढ़ाई की वे कैसे भरपाई कर सकते हैं।
बच्चे भी हुए लापरवाह
शिक्षकों का मानना है कि स्कूलों की बंदी से बच्चे लापरवाह हो चले हैं। जहां ऑनलाइन पढ़ाई हो रही है, वहां भी सभी बच्चे प्रतिबद्ध नहीं हैं। उन्होंने ऑनलाइन पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लिया है। कुछ स्कूलों की छमाही परीक्षा के परिणाम से इस तथ्य की पुष्टि भी हुई है। ऐसे छात्र अब परेशान हैं। उनका तनाव बढ़ा हुआ है।
संकट-1
कोरोना के चलते स्कूल रहे बंद
स्कूलों का नया सत्र अप्रैल से आरंभ हो गया था मगर स्कूल लंबे समय तक बंद रहे। पिछले महीने कक्षा 9 से 12 कक्षाओं के स्कूल कुछ शर्तों के साथ खोले गए। मगर विभिन्न कारणों से बच्चों की उपस्थित 50 फीसदी से भी कम है। आगे स्कूल पूरी तरह खुल पाएंगे या नहीं, इसे लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है।
संकट-2
डिजिटल डिवाइड का असर
सरकारी और निजी स्कूलों का दावा है कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जबकि वास्तविकता अलग हैं। विभिन्न सर्वे बताते हैं कि ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा हर बच्चे तक नहीं पहुंच पा रही है। नेटवर्किंग की दिक्कत है। कई अभिभावकों के पास संसाधन नहीं हैं।
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क्या कहते हैं विशेषज्ञ ?
जो बच्चे पढ़ाई के प्रति गंभीर हैं, वे ऑफलाइन या ऑनलाइन तरीके से पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल बंद रहने से औसत बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है। स्कूल में ऐसे बच्चों को टोका जाता है तो वे भी ध्यान देने लगते हैं।इस बार ऐसा नहीं हो पा रहा है। इसलिए चिंता बढ़ी है। -डॉ. प्रतिभा यादव, प्रधानाचार्य, आर्य महिला इंटर कालेज (फोटो)
अभी जो स्थिति है, उसमें बोर्ड परीक्षा की तैयारी प्रभावित हो रही है। ऑफलाइन कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति बहुत कम है। मेरा मानना है कि ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चों की शंकाओं और समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा है। -मनराज, प्रवक्ता, भौतिकशास्त्र, आदर्श इंटर कालेज (फोटो)
छात्रों की प्रतिक्रिया-
ऑफलाइन और ऑनलाइन कक्षाओं के चक्कर में उलझ गए हैं। इससे तैयारी
प्रभावित हो रही है। ऑफलाइन पढ़ाई को ही नियमित कर दिया जाए तो अच्छा
होता।-अनोखी जायसवाल-कक्षा 10
मुझे ऑफलाइन कक्षा में ज्यादा समझ में आता है। ऑनलाइन में नेटवर्क की समस्या और वीडियो के रूक जाने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है। -अंशिका सिंह पटेल-कक्षा 10
बोर्ड परीक्षा की दृष्टि से मुझे ऑफलाइन क्लास ही अधिक ठीक महसूस हो रहा है। ऑफलाइन क्लास को नियमित कर देना चाहिए।- श्रेया सिंह-कक्षा 10
अभिभावक प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, ‘ मेरी बेटी सीबीएसई स्कूल में 10वीं में पढ़ती है। जब तक स्कूल नहीं खुला था, ऑनलाइन क्लास ठीक ढंग से चल रही थी। स्कूल खुलते ही उसमें कटौती हो गई। मैं अभी बेटी को स्कूल भेजना नहीं चाहती। इसलिए उसकी तैयारी प्रभावित हो रही है। मेरा भी तनाव बढ़ रहा है।’