भारत-चीन में सीमा विवाद के बीच पूर्वी लद्दाख सेक्टर में निगरानी के लिए भारतीय नौसेना के पी-81 विमान तैनात हैं। इसी बीच नौसेना ने फैसला लिया है कि समुद्री लड़ाकू जेट मिग-29 K को उत्तरी क्षेत्र में तैनात किया जाएगा। पड़ोसी देश के साथ भारत का पिछले लंबे समय से सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। हालांकि, हाल के समय में चीन झुकने को मजबूर हुआ है। भारतीय वायुसेना (IAF) के ठिकानों पर नौसैनिक लड़ाकू विमानों की तैनाती चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की सोच और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशों के अनुरूप है।

सरकारी सूत्रों ने बताया ‘उत्तरी क्षेत्र में भारतीय वायुसेना के बेस पर मिग -29 K लड़ाकू विमान को तैनात करने की योजना बनाई जा रही है। इनका उपयोग वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में परिचालन उड़ान भरने के लिए किया जा सकता है।’ नौसेना के पास 40 से अधिक मिग-29 K लड़ाकू विमानों का एक बेड़ा है, जो विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात है और गोवा में नौसेना के लड़ाकू अड्डे आईएनएस हंसा से नियमित उड़ान भरते हैं।

रूसी मूल के लड़ाकू विमानों को भारतीय नौसेना द्वारा विमान वाहक के साथ एक दशक पहले खरीदा गया था। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ चल रहे विवाद के बीच, भारतीय नौसेना एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है क्योंकि इसके विमानों का उपयोग एलएसी पर निगरानी के लिए किया जाएगा, ताकि चीनी गतिविधियों पर से पर्दा उठाया जा सके। डोकलाम संकट के दौरान भी निगरानी विमान का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था। भारतीय नौसेना मलक्का जलडमरूमध्य के करीब एक अभ्यास भी कर रही है, जहां से चीनी नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश करती है। सरकारी सूत्रों ने कहा कि आईएनएस चक्र और आईएनएस अरिहंत सहित परमाणु पनडुब्बी भी अपने बंदरगाह से बाहर हैं।

इसके अलावा विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य भी अपने वाहक युद्ध समूह के साथ मिशन के लिए समुद्र में मौजूद है। भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी नौसेना की गतिविधियों पर लगातार नजर रख रही है, जहां वे अपने युद्धपोतों के साथ नियमित रूप से आते हैं। भारतीय नौसेना के युद्धपोतों ने कुछ दिनों पहले ही, चीन से तनाव के बीच अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस निमित्ज के साथ एक अभ्यास भी किया था।