विस्तारवादी सोच और कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में घिरे चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कुछ समय पहले संभावित खाद्य संकट से निपटने के लिए ‘ऑपरेशन क्लीन प्लेट’ की शुरुआत की थी। इसके तहत, चीन ने अपने लोगों के खाने की आदत में बदलाव भी किए थे और उनसे खाने की बर्बादी न करने को कहा था। लेकिन, माना जा रहा है कि ड्रैगन अपनी घरेलू परेशानियों को छिपाने और उससे ध्यान भटकाने के लिए लद्दाख और साउथ चाइना सी में आक्रामक रवैया अपनाए हुए है। चीन को जिन तीन देशों से फूड सप्लाई मिलती है, उनसे उसके रिश्ते काफी खराब हो चले हैं। इन देशों में अमेरिका, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।

चीन की अल्ट्रा-नेशनलिस्टिक वुल्फ वॉरियर डिप्लोमेसी और लद्दाख में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा आक्रामक रवैया ठीक वर्ष 1962 की तरह है, जब तत्कालीन नेता माओत्से तुंग ने असफल रहे ग्रेट लीप फॉवर्ड मूवमेंट की नाकामी को छिपाने के लिए भारत  की सीमा पर आक्रामकता दिखाई थी। इस मूवमेंट में लाखों चीनियों की भूख की वजह से मौत हो गई थी।

पिछले महीने शी जिनपिंग द्वारा खाने को लेकर ध्यान केंद्रित करते हुए शुरू किए गए अभियान की वजह से अटकलें लगाई जा रही हैं कि चीनी सरकार यह मानने लगी है कि खाद्य आपूर्ति आने वाले समय में और खराब होने वाली है।

मई महीने में ली केकियांग ने कोरोनो वायरस महामारी के बीच एक खाद्य सुरक्षा योजना बनाने का वादा किया था, जिसमें संसद को आश्वासन दिया गया था कि चीन अपने सभी लोगों के लिए ‘अपने प्रयासों से’ भोजन सुनिश्चित कर सकता है।

कृषि मंत्री हान चांगफू ने कहा था कि अफ्रीकी स्वाइन फीवर की वजह से दस करोड़ से अधिक सुअरों के मारे जाने का खतरा है, लेकिन इसके बावजूद भी सूअर के मांस की कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी। हालांकि, आधिकारिक आंकड़े संकेत देते हैं कि जुलाई में खाद्य वस्तुओं की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में 13 प्रतिशत और पोर्क की कीमत में लगभग 85 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

चीन के अधिकांश चावल के स्रोत, यांग्त्जी नदी में बाढ़ की वजह से उत्पादन और परिवहन काफी अधिक प्रभावित हुआ है।इसने लाखों लोगों के जीवन को बाधित कर दिया है और बाढ़ की वजह से बड़े पैमाने पर खेत भी डूब गए थे। इस बार चीन को सबसे खराब बाढ़ का कहर झेलना पड़ा है।

चीन के सामान्य प्रशासन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जनवरी से जुलाई के बीच चीन का अनाज आयात 22.7 प्रतिशत (74.51 मिलियन टन) बढ़ गया था। गेहूं के आयात में 910,000 टन के साथ 197 प्रतिशत की सालाना वृद्धि देखी गई। मकई का आयात भी साल-दर-साल बढ़ता रहा और 23 प्रतिशत बढ़कर 880,000 टन हो गया।

हालांकि उम्मीद के मुताबिक, चीन और उसके सरकारी संस्थानों ने इस बात से इनकार किया कि देश में घरेलू खाद्यान की कमी है। चीन के सरकारी मीडिया ने कहा कि इस साल ग्रीष्मकालीन अनाज का उत्पादन 142.8 अरब किलोग्राम के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, चीनी अकादमी ऑफ सोशल साइंसेज द्वारा 17 अगस्त को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है, ‘चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।’ हालांकि, रिपोर्ट में चेतावनी भी दी गई थी कि यदि चीन कृषि क्षेत्र में कुछ बड़े बदलाव नहीं करता है तो आने वाले सालों में चीन को और अधिक ‘खाद्यान में कमी’ का सामना करना पड़ेगा।