भारत ने कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए अपनी स्वास्थ्य सेवाओं को काफी मजबूत कर लिया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने गुरुवार को कहा कि जनवरी में भारत में महज एक लैब में कोविड-19 जांच की सुविधा उपलब्ध थी जो अब 1370 हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि पूरे देश में किसी भी स्थान से कोई नागरिक अधिकतम तीन घंटे यात्रा करके लैब तक पहुंच सकता है।

स्वास्थ्य मंत्री विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दक्षिण-पूर्व एशिया के क्षेत्रीय निदेशकों की एक वर्चुअल बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अधिक आबादी और विकसित देशों के मुकाबले कम संसाधन होने के बावजूद भारत ने कोविड-19 को लेकर की अति सक्रिय और बहुस्तरीय संस्थागत प्रतिक्रिया दी। इसने यह संभव किया कि यहां मामलों की संख्या और महामारी के चलते मृत्यु दर बहुत कम है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से निपटने की तैयारियां तभी शुरू कर दी थीं, जब सात जनवरी को चीन ने इसके बारे में डब्ल्यूएचओ को जानकारी दी थी। उन्होंने कहा कि भारत के अस्पतालों में कोविड-19 के मामलों के दैनिक प्रबंधन क्षमता में लगभग 35 गुना की बढ़ोतरी हुई है। जनवरी में जहां हमारे पास केवल एक कोरोना जांच लैब थी, आज इनकी संख्या 1370 हो गई है।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस को लेकर लगाए गए लॉकडाउन के समय का इस्तेमाल भारत ने अपनी चिकित्सा सेवाओं के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में किया। इससे देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के प्रबंधन में मदद मिली। हमअपने आइसोलेशन बेडों की संख्या को 34 गुना तक और आईसीयू बेडों की सख्या को 20 गुना तक बढ़ाने में सफल हुए हैं।

डब्ल्यूएचओ ने की आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं बनाए रखने की अपील
वहीं, इस बैठक में डब्ल्यूएचओ ने आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं बनाए रखने और महमारी से प्रभावित स्वास्थ्य सुविधाओं को बहाल करने में तेजी लाने की अपील की। संगठन की दक्षिण पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ. पूनम खेत्रपाल सिंह ने कहा कि पिछली बीमारियों के फैलने से पता चलता है कि आवश्यक सेवाओं में बाधा बीमारी से ज्यादा खतरनाक है। बता दें कि महामारी के कारण दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था पर काफी दबाव पड़ा है।

उन्होंने कहा, हमें प्रयास तेज करने चाहिए और जो हो रहा है उससे बचने के लिए हरसंभव कोशिश करनी चाहिए। इसके साथ ही कोविड-19 के संचार की श्रृखंला को तोड़ने का प्रयास जारी रखना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि कोविड-19 फैलने के बाद से ही स्वास्थ्यकर्मियों के काम को बदलने, चुनिंदा सेवाओं को बंद करने, बाह्य रोगी सेवा बंद करने, अपर्याप्त निजी सुरक्षा उपकरण और इलाज की नीति में बदलाव लाने से आवश्यक सेवाओं पर बुरा असर पड़ा है।

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