सीएम योगी ने जिला पंचायतों को सुझाया कमाई का तरीका, बोले-अपनी जमीनों का करें व्‍यवसायिक इस्‍तेमाल

जिला पंचायत अध्यक्षों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गांव के अंदर की कनेक्टिविटी ग्राम पंचायत को देनी चाहिए। ग्राम पंचायतों को भी कोशिश करनी होगी कि वे अपने संसाधनों को और मजबूत करें और कार्यपद्धति को बढ़ाएं। इसके लिए अपनी जमीन का व्यावसायिक इस्तेमाल करें ताकि छोटी-छोटी समस्याओं का स्थानीय स्तर पर समाधान कर सकें।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को 5 कालीदास मार्ग लखनऊ से हाट मिक्स प्लांट से जिला पंचायत की 21 सड़कों के निर्माण कार्य के शिलान्यास समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने शाहजहांपुर, प्रयागराज, सीतापुर, शामली और खीरी जिले के जिला पंचायत अध्यक्षों से संवाद भी किया। जिला पंचायत अध्यक्षों ने हॉट मिक्स प्लांट से सड़कों  के लिए बधाई देते हुए कहा कि सड़कें और मजबूत होंगीं। कार्य की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि ग्राम पंचायत गांव के अंदर इंटरलॉकिंग, सीसी कार्य, वॉटर लॉगिंग की समस्या का समाधान करें। गांव में कूड़ा प्रबंधन की समस्या का समाधान करें। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण यह नहीं है कि कितने गांव में आपने कुछ ना कुछ दे दिया। कुछ कार्य ऐसा करिए कि जिसे आप वास्तव में यह कह सकें कि यह मेरे कार्यकाल का कार्य है। हमारा क्षेत्र पंचायत बेहतरीन तरीके से अपनी कार्यपद्धति आगे बढ़ा रहा है, हमें इस दिशा में प्रयास करना चाहिए।

केवल सरकार के पैसे पर निर्भर न रहें पंचायतें 

सीएम ने कहा कि पंचायती व्यवस्थाएं केवल सरकार के पैसे पर ही निर्भर न रहें। बल्कि अपनी आय कैसे बढ़ा सकती हैं, इस बारे में भी चिंता करें। इससे हमारी पंचायतें स्वावलंबी बनेंगी। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायतों के पास भी अपनी जमीन है। गांव के हाट तो जिला पंचायतों द्वारा ही संचालित होते थे, उन्हें आय के साथ जोड़ने का कार्य हो सकता था। इसे मंडी समिति के साथ मिलकर आप ग्रामीण हाट के रूप में विकसित कर सकते हैं। पंचायतों को स्वावलंबी बनाना है तो इनकी आय को बढ़ाना पड़ेगा। कहा कि गांव का हर व्यक्ति स्वावलंबी बनने की ओर कदम बढ़ा सकता है।

सरपंच का उदाहरण देकर सीएम ने समझाया

मुख्यमंत्री ने एक अन्य प्रदेश के सरपंच का उदाहरण देते हुए कहा कि ‘मैंने उनसे पूछा कि आपके पंचायत को कितना पैसा मिलता है, तो उन्होंने बताया कि हमें पैसे की आवश्यकता ही नहीं है। मैंने पूछा कैसे तो फिर उन्होंने बताया कि हमारा गांव हाईवे से जुड़ा है। हमारी ग्राम पंचायत की जितनी भूमि थी, उसे हमने किसी को कब्जा नहीं करने दिया। तालाब को गंदा नहीं होने दिया। हम हर वर्ष लगभग 5 से 7 करोड़ केवल तालाब से कमा लेते हैं। हम इसी पैसे से गांव के कार्य और गरीबों की सहायता भी करते हैं। हमारा ग्राम पंचायत एक आत्मनिर्भर गांव है।’ सीएम ने आह्वान किया कि यह कल्पना एक गांव कर रहा है। वह भी भारत का ही एक गांव है, तो आपका का गांव क्यों नहीं?

ओडीओपी से पंचायतीराज व्यवस्था को जोड़े 

सीएम ने कहा कि ओडीओपी किसी न किसी गांव से ही निकलता है। गोरखपुर का टेराकोटा औरंगाबाद से निकला, तो लखनऊ की चिकनकारी एक गांव से। अमरोहा का ढोलक, पीलीभीत की बांसुरी गांव से निकली। संतकबीरनगर में बखिरा बर्तन का बहुत बड़ा केंद्र है। क्या यह हमारी पंचायतों की जिम्मेदारी नहीं बनती कि हम अपने उत्पादों को प्रमोट करें? हमारे पर्व त्योहार आते हैं तो हमें प्रयास नहीं करना चाहिए कि हमारे जिले में जो चीज बन रही है तो उसे गिफ्ट में दें? महत्व इस बात का नहीं कि कितना महंगा उपहार है और कितना बड़ा है। महत्व यह है कि हमारे कारीगरों के मेहनत और हुनर कितने बेहतरीन तरीके से आई है। पंचायती राज व्यवस्था को इससे जुड़ना पड़ेगा।

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