कंफर्म रेलवे टिकट काटने वाले सॉफ्टवेयर रीयल मैंगो का भंडाफोड़, OTP और कैप्चा डालने की भी नहीं थी जरूरत

रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान कंफर्म ट्रेन टिकट हथियाने के लिए अवैध सॉफ्टवेयर ‘रीयल मैंगो’ का इस्तेमाल किए जाने का पता लगाया और पश्चिम बंगाल, असम, बिहार और गुजरात से 50 गिरफ्तारियां की। आरपीएफ के महानिदेशक अरूण कुमार ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि इस अवैध सॉफ्टवेयर के कामकाज को खंगालने से सामने आया कि ऑटोमैटिक रूप से टिकट बुक करने के लिए यह (सॉफ्टवेयर) कैप्चा की अनदेखी करता है और मोबाइल एप की मदद से बैंक ओटीपी भी फॉर्म में डाल देता है। यह फॉर्म में अपने आप ही यात्री और उसके भुगतान का विवरण भी डाल देता है।

उन्होंने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ”यह सॉफ्टवेयर विभिन्न आईआरसीटीसी आईडी के जरिए आईआरसीटीसी वेबसाइट में लॉगइन करता है। अवैध सॉफ्टवेयर पांच स्तरीय ढांचे में बेचा जाता है और सिस्टम एडमिन को बिटक्वाइन में भुगतान होता है।” कुमार ने कहा कि आरपीएफ की क्षेत्रीय इकाइयां सिस्टम डेवलपर और अहम प्रबंधकों समेत अबतक 50 लोगों को गिरफ्तार करने में और पांच लाख रुपए से अधिक मूल्य के टिकटों को रोकने में कामयाब रही हैं। सिस्टम डेवलपर इस गिरोह का सरगना है और प्रबंधक इस सॉफ्टवेयर के संचालन में शामिल थे।

उन्होंने कहा, ”इस अवैध सॉफ्टपवेयर के पांच अहम संचालक पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार किए गए हैं। अब इस सॉफ्टवेयर को पूरी तरह नष्ट कर दिया गया है।” इस गोरखधंधे पर तब नजर गई जब पता चला कि इस सॉफ्टवेयर का डिवेलपर अपने उत्पाद के प्रचार के लिए यूट्यूब इस्तेमाल करता है। फिर इस लोकप्रिय वीडियो साझा मंच के आंकड़े के विश्लेषण से गिरोह के अहम सदस्यों का पता चला।”

कुमार ने बताया कि यात्री सेवाएं बहाल होने के बाद दलाली गतिविधि बढ़ने की आशंका से दलालों के खिलाफ बल ने अभियान तेज किया। उन्होंने कहा, ”रेयर मैंगो (जिसका नाम बाद में बदलकर रीयल मैंगो कर दिया गया) के संचालन का पता आरपीएफ की क्षेत्रीय इकाइयों द्वारा दलालों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान 9 अगस्त को चला।

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