कोरोनावायरस संकट के बीच यह खबर राहत देने वाली है। कोरोना की जांच के लिए अमेरिकी कंपनी एबॉट की ओर से बनाई गई रैपिड किट भारत आने वाली है। ये किट अप्रैल के तीसरे हफ्ते यानी 18 अप्रैल तक भारत में आ सकती है। एबॉट की जांच किट सिर्फ 5 मिनट में कोरोना पॉजिटिव बता देती है और निगेटिव की रिपोर्ट आने में 13 मिनट का समय लगता है। यह किट इतनी हल्की और छोटी है कि इसे लाना और ले जाना बेहद आसान है।

इसे उन अस्पतालों के बाहर लगाया जा सकता है जहां संक्रमण के मामले ज्यादा आ रहे हैं। एबॉट की एक महीने में 50 लाख टेस्ट किट उत्पादन की योजना है। अमेरिकी रेग्युलेटर भी इस टेस्ट किट की स्वीकृति दे चुका है। इधर, देश में कोरोना प्रभावितों का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय जांच का दायरा नहीं बढ़ा रहा है, क्योंकि जांच किट की कमी है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि अमेरिका से पांच लाख जांच किट मंगवाई गई थी।

इसे देश के अलग-अलग हिस्सों में आईसीएमआर के अलग-अलग लैब में भिजवा दिया गया है। लेकिन यह जरूरत के अनुपात में बहुत कम है। आईसीएमआर के अनुसार पांच लाख और जांच किट एक-दो दिनों में पहुंच जाएंगी। विदेशों से अभी आयात होने में थोड़ी दिक्कत आ रही है। इन तमाम कारणों को देखते हुए निजी जांच लैब को कोविड-19 के संभावित मरीजों की जांच का अधिकार तो दिया गया है, लेकिन उनके पास भी जांच किट उपलब्ध नहीं है। इसकी एक बड़ी वजह है कि ऐसे इलाके में जहां बड़े पैमाने पर संभावित मरीजों की जांच की जानी है उसके लिए रैपिड एंटीबॉडी जांच किट के इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। 50 लाख रैपिड एंटीबॉडी जांच किट का भी ऑर्डर आईसीएमआर की ओर से दिया गया है। इसके अलावा लाखों की संख्या में और कई देशों को ऑर्डर दिए जाएंगे।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने अपने लैब के अलावा जैव प्राैद्याेगिकी विभाग, विज्ञान अाैर प्राैद्याेगिकी, काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च और परमाणु ऊर्जा विभाग को कोविड-19 की जांच की इजाजत दी है। हालांकि, आईसीएमआर ने स्पष्ट किया है कि उनकी ओर से इनकी लैब को किसी तरह की जांच किट या री-एजेंट नहीं दिया जाएगा।

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