कोलकाता में एक 57 वर्षीय बैंक मैनेजर की कोरोना वायरस से मौत हो गई लेकिन परिवार वालों को नहीं पता था कि उनके पिता कोविड-19 से संक्रमित हैं। दरअसल, पहले परिवार वालों को झूठी रिपोर्ट दी गई कि उन्हें कोरोना नहीं है लेकिन अस्पताल में जांच कराने के बाद उनमें कोरोना होने की पुष्टि हुई।
पीड़ित की पत्नी की शिकायत पर कोलकाता पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस इस मामले में और जानकारी जुटा रही है। कोलकाता के एमआर बांगुर अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि स्वैब टेस्ट रिपोर्ट पर एक रिफर्ल कोड होता है, जो असल में टाइप किया जाता है लेकिन पीड़ित की रिपोर्ट पर ये हाथ से लिखा हुआ था। इसलिए ये टेस्ट रिपोर्ट नकली थी।
पुलिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक बिमल सिन्हा को सर्दी, खांसी और बुखार था। इनके परिवार के एक डॉक्टर ने एक पैथालॉजिकल लैब चलाने वाले शख्स के पास भेज दिया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जब बिमल के परिवार ने लैब से संपर्क किया तो लैब के मालिक ने 25 साल के लड़के को सैंपल लेने के लिए भेज दिया।
एक दिन के बाद ही बिमल सिन्हा के पास उनकी कोरोना की रिपोर्ट आ गई और रिपोर्ट में उन्हें निगेटिव बताया गया। जब परिवार ने फॉर्मल रिपोर्ट मांगी तो उनको हाथों से लिखी गई एक एसआरएफ आईडी दे दी गई और व्हाट्सएप के जरिए रिपोर्ट के निगेटिव होने के बारे में बता दिया।
समय के साथ बिमल सिन्हा के हालत बिगड़ने लगी, जिसके बाद उन्हें एमआर बांगूर अस्पताल ले जाया गया। यहां बिमल सिन्हा की दोबारा कोरोना की रिपोर्ट की गई और इसमें वो कोरोना पॉजिटिव पाए गए। बिमल सिन्हा के बेटे हर्ष सिन्हा का कहना है कि डॉक्टर ने उन्हें बताया कि बिमल सिन्हा की पहली रिपोर्ट गलत थी।
बेटे ने बताया कि सैंपल लेने के लिए उन लोगों ने दो हजार रुपये लिए थे। बेटे ने कहा कि हमने इलाज में अपना समय गंवा दिया और पिता को 30 जुलाई को सरकारी अस्पताल में भर्ती किया, जहां उन्होंने अपना दम तोड़ दिया। हालांकि पुलिस ने व्हाट्सएप नंबर को ट्रैस करके तीन लोगों को इस साजिश में गिरफ्तार कर लिया है।
इंद्ररजीत सिकदर और बिस्वजीत सिकदर दो भाई है, जो अलग-अलग अस्पतालों में तकनीशियनों के तौर पर काम करते हैं। निजी लैब चलाने वाले तीसरे शख्स अनित पाइरा को भी गिरफ्तार किया गया है।