कोरोना वायरस को रोकने के लिए सरकार ने लॉकडाउन किया। हर स्तर पर सख्ती की लेकिन जिम्मेदारों से लेकर आम लोगों की लापरवाही भारी पड़ रही है। दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के आठ लोगों की लापरवाही से 1917 लोग संक्रमित हो गए। लापरवाही का नतीजा है कि संक्रमण भयावह रूप ले चुका है और औसतन हर राज्य इसकी चपेट में है।

सरकारी पाबंदियों और नियमावली को ध्यान में रखकर सभी ने अपनी जिम्मेदारी निभाई होती तो हालात शायद इतने विकराल न होते। लापरवाही का ही नतीजा है कि वायरस अब मौत बनकर मडरा रहा है और हर कोई अपने घर में कैद होकर प्रकोप खत्म होने का इंतजार कर रहा है। क्या पता इन सात लोगों की तरह और कितने लोग चोरी-छिपे वायरस का आतंक फैला रहे हैं।

निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात से जुड़े हजारों लोगों ने 13 से 15 मार्च के बीच सभा की, जिसमें कई विदेशी भी थे। सभा खत्म होने के बाद लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचे तो अपने साथ जानलेवा वायरस लेकर गए। इन लोगों ने करीब 1650 लोगों को संक्रमित किया। जब इनके संक्रमित होने का खुलासा हुआ तो ये अस्पताल जाने की बजाए इधर-उधर छिपते रहे।

एक 65 वर्षीय महिला कॉरपोरेट ऑफिसों में टिफिन सप्लाई करती थीं। बाद में उनमें कोरोना की पुष्टि हुई। टिफिन लेने वाले लोगों को क्वारंटीन किया गया।

सीजफायर कंपनी में कोरोना का पहला मरीज मिला तो भी काम बंद नहीं किया गया। नतीजा ये हुआ कि नोएडा में संक्रमण का प्रभाव बढ़ता चला गया और कंपनी के 13 कर्मचारियों के साथ उनके परिवार के 11 सदस्यों में वायरस की पुष्टि हुई। 24 लोगों में संक्रमण होने के बाद जिला प्रशासन ने कंपनी को सील कर दिया। अब कहा जा रहा है कि नोएडा में जो भी मामले सामने आ रहे हैं उसकी जड़ सीजफायर कंपनी है।

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