श्रीनगर में मौसम खराब होने के कारण शहीदों की पार्थिव देह शायद आज शाम तक घर पहुंचे। इसके चलते शहीदों का अंतिम संस्कार आज शाम या फिर मंगलवार को हो पाएगा। हंदवाड़ा में शनिवार रात शहीद हुए सेना के ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा का शव उनके घर जयपुर पहुंचना है, जबकि मेजर अनुज सूद का पंचकूला। वहीं, नायक राजेश कुमार के माता-पिता पंजाब के मनसा में रहते हैं और लांस नायक दिनेश सिंह उत्तराखंड के अल्मोड़ा से हैं। सगीर अहमद काजी कुपवाड़ा जिले के हैं।

एनकाउंटर में शहीद हुए 21 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा की पार्थिव देह सोमवार शाम तक जयपुर पहुंचेगी। डिफेंस पीआरओ राजस्थान कर्नल संबित घोष ने बताया कि शहीद का अंतिम संस्कार मंगलवार को होगा। श्रीनगर में मौसम सुधरते ही पार्थिव देह को हेलिकॉप्टर से जयपुर लाया जाएगा। श्रीनगर से जयपुर पहुंचने के बाद पार्थिव देह को सीधे आर्मी हॉस्पिटल ले जाया जाएगा। यहां उन्हें श्रद्धांजलि दी जाएगी और उसके बाद अजमेर रोड स्थित मुक्तिधाम में पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। शहीद कर्नल आशुतोष उत्तर प्रदेश से थे। इसके चलते योगी सरकार ने उनके गांव परवाना, बुलंदशहर में उनकी याद में गौरव द्वार बनवाने की घोषणा की है।

हंदवाड़ा एनकाउंटर के दौरान शहीद हुए मेजर अनुज सूद हिमाचल प्रदेश में कांगड़ा के देहरा इलाके से हैं। हालांकि, उनका परिवार पंचकूला में रहता है। उनका शव भी अभी पंचकूला नहीं पहुंच पाया है। ज्यादा देर हुई तो फिर पार्थिव देह को चंडीगढ़ के कमांड हॉस्पिटल में रखा जाएगा। मंगलवार सुबह अंतिम संस्कार पंचकूला के मनीमाजरा श्मशान घाट में किया जाएगा। अनुज के पिता रिटायर्ड ब्रिगेडियर हैं।

वहीं नायक दिनेश सिंह रिटायर्ड सूबेदार के बेटे हैं। परिवार इस साल उनकी शादी की तैयारी कर रहा था। दिनेश का परिवार उत्तराखंड के अल्मोड़ा से है। 24 वर्षीय नायक दिनेश के परिवार में सूबेदार पिता के अलावा मां और दो बड़ी बहनें हैं। माता-पिता अल्मोडा के मिरगांव में ही रहते हैं। दिनेश पिछले साल नवंबर में घर आए थे।

शहीद नायक राजेश कुमार पंजाब के मनसा जिले के रहने वाले हैं। उनका परिवार सर्दुलगढ़ तहसील के राजराना गांव में रहता है। शहीद की पार्थिव देह सोमवार को गांव पहुंचेगी। इसके बाद सोमवार देर शाम या फिर मंगलवार को कोरोना वायरस के चलते प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए अंतिम संस्कार होगा।

29 साल के राजेश के पांच भाई-बहन हैं। माता पिता राजराना गांव में ही रहते हैं। राजेश के भाई सुभाष के मुताबिक, उन्होंने अभी तक अपने माता-पिता को भाई की शहादत की खबर नहीं दी है। राजेश 10 साल पहले सेना में भर्ती हुए थे और आखिरी बार फरवरी में घर आए थे। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर है। भाई बटाई पर खेत लेते थे। खुद उनके पास एक एकड़ से भी कम जमीन है। परिवार का गुजारा राजेश जो पैसे भेजता था, उससे हो रहा था। उनकी दोनों बहनों की शादी हो चुकी है। गांव वालों के मुताबिक, राजेश ने पिछले साल ही गांव के अपने छोटे से घर की मरम्मत करवाई थी।

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