दिल्ली में कोरोनावायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. .यहां हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में तब्लीग-ए-जमात में 1400 लोग 14 मार्च के बाद भी यहां इकट्ठा थे. जिनमें से 860 लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है जबकि 300 लोगों की और व्यवस्था की जा रही है. दिल्ली में कोरोनावायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच एक बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. .यहां हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में तब्लीग-ए-जमात में 1400 लोग 14 मार्च के बाद भी यहां इकट्ठा थे. जिनमें से 860 लोगों को अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है जबकि 300 लोगों की और व्यवस्था की जा रही है. वहीं इससे बुरी खबर यह है कि इस जमात में शामिल हुए 6 लोगों की तेलंगाना में और एक मौलवी की श्रीनगर में मौत हो गई है.अंडमान में भी 10 लोगों की संक्रमण की पुष्टि हुई है. इनमें से 9 लोग यहां मरकज में शामिल हुए थे. 10 वहीं संक्रमित महिला भी इन्हीं में से एक पत्नी है. आपको बता दें इस जमात में दिल्ली के हजरत निजामुद्दीन स्थित मरकज में मलेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और किर्गिस्तान सहित 2,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने 1 से 15 मार्च तक तब्लीग-ए-जमात में हिस्सा लिया था. फिलहाल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तब्लीगी जमात की अगुवाई कर रहे मौलाना के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है और आसपास की कॉलोनियों में घर-घर जाकर कोरोनावायरस का पता लगाने का अभियान शुरू किया जाएगा. दिल्ली में कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या 97 पहुंच गई है. लेकिन सवाल इस बात का है कि जब कोरोनावायरस के संक्रमण की रोकथान के लिए इतनी चाकचौबंद व्यवस्था का दावा और लॉकडाउन के सख्ती से पालन का ऐलान किया गया है तो फिर इतनी बड़ी संख्या में लोगों के इकट्ठा होने की जानकारी क्यों नहीं किसी को लगी. आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?

कुछ अहम सवाल :

  • मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भरोसे दिल्ली की स्वास्थ्य व्यवस्था है. कोरोनावायरस को लेकर उनकी सरकार ने क्या कदम उठाए हैं, इसकी जानकारी देने वह प्रेस कॉन्फ्रेस करने भी आते हैं, लेकिन उनके प्रशासन को यह क्यों ध्यान नहीं गया कि समय रहते यहां इकट्ठा लोगों को कहीं आइसोलेशन में भेजा जाए?
  • क्या  मौलाना ने भी अपने नागरिक होने का कर्तव्य निभाया? जब उनको पता था कि यह बीमारी विदेशों से आ रही है तो उनको इस तरह के आयोजनों को रद्द करना चाहिए था. साथ ही क्या इस बात की सूचना उन्होंने प्रशासन को दी थी कि यहां अभी और लोग इकट्ठा हैं. इनकी व्यवस्था की जाए. साथ ही वो लोग भी जिम्मेदार हैं जो लापरवाही बरतते हुए यहां पर इकट्ठा थे. सरकार की ओर से सोशल डिस्टैसिंग पर काफी पहले से ही जोर दिया जा रहा था.
  • गृहमंत्री अमित शाह के मंत्रालय के पास इस बात की भी जानकारी थी कि विदेशों से इतने बड़ी संख्या में नागरिक इकट्ठा होते हैं. तो फिर इस खतरे को देखते हुए तुरंत कार्रवाई करते हुए इनको लॉकडाउन के ऐलान के बाद क्वारंटाइन क्यों नहीं किया गया. जब कोरोनावायरस को लेकर केंद्र सरकार ने डीएम एक्ट के तहत पूरी अपनी कमान अपने हाथ में ले लिया है. वहीं गृहमंत्रालय की ओर से भी बड़े-बड़े दिशा-निर्देश आ रहे हैं तो विदेशियों की आवाजाही और यहां भीड़ की जानकारी होते हुए भी उदासीनता क्यों बरती गई?
  • स्वास्थ्य मंत्रालय भी हर रोज प्रेस कांन्फ्रेंस करके दिन भर की जानकारी देता है. लेकिन क्या उसके अपने स्थानीय स्वास्थ्य कर्मी और अधिकारी पूरी तरह से फेल साबित हुए?
  • निजामुद्दीन इलाके के नगर निगम को इस बात की पूरी जानकारी रहती है उस इलाके में कौन-कौन आता है लेकिन वह इस मामले में पूरी तरह से फेल साबित हुए?
  • क्या स्थानीय विधायक, सांसद और पार्षदों ने भी इस बात को गंभीरता से लिया? जनप्रतिनिधि होने के नाते उनकी भी जिम्मेदारी बनती है कि वह आम लोगों के बीच इस बीमारी के बारे में जागरुक करें.

बता दे की देश में अब तक कोरोना के 1355 केस सामने आ चुके है और 40 लोगो की मौत हो चुकी है. न जाने ये संख्या अब खा जाके रुकेगी

 

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