क्या शिवसेना पर उल्टा पड़ा कंगना रनाउत के बंगले पर चला बीएमसी का हथौड़ा? विरोध में उतरीं कांग्रेस-NCP

मुंबई की पीओके से तुलना कर और ‘मूवी माफिया’ से ज्यादा मुंबई पुलिस से डर लगने वाली बात कहकर शिवसेना की आंखों की किरकिरी बनी बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनाउत के बांद्रा स्थित बंगले के कुछ हिस्सों को बीएमसी ने बुधवार को गिरा दिया। कंगना के बंगले पर इस कार्रवाई का जहां एक तरफ राज्य की सहयोगी कांग्रेस के नेता संजय निरूपम ने विरोध करते हुए ये कहा कि बदले की राजनीति की उम्र छोटी होती है, तो वहीं एनसीपी चीफ शरद पवार ने इसे ‘गैर-जरूरी’ पब्लिसिटी करार दिया।

पिछले कुछ दिनों से सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर मुखर रही कंगना को जब शिवसेना नेता संजय राउत की तरफ से ‘हरामखोर’ लड़की कहा गया उसी वक्त इस बात का अंदेशा था कि कंगना के खिलाफ ऐसा कुछ राज्य सरकार कदम उठा सकती है।

बंबई हाईकोर्ट की रोक से बाद भी चला हथौड़ा

हैरानी की बात तो ये रही की बंबई हाईकोर्ट की तरफ से बीएमसी को तोड़फोड़ करने से रोक के आदेश के बावजूद इस काम को अंजाम दिया गया। बंगले में बीएमसी की तरफ से की गई इस तोड़फोड़ के बाद कंगना ने शिवसेना अध्यक्ष और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा। कंगना रनाउत के बंगले पर बीएमसी की यह कार्रवाई शिवसेना के आदेश पर ही की गई है।

शरद पवार बोले- गैर जरूरी पब्लिसिटी

लेकिन, कंगना रनाउत के बंगले के एक हिस्से पर बीएमसी के चले बुलडोजर को खुद राज्य के सहयोगी दलों का समर्थन नहीं मिल रहा है। महाराष्ट्र विकास अघाडी पार्टी के सहयोगी दल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि इसे गैर-जरूरी पब्लिसिटी दी जा रही है। पवार ने कंगना रनौत का नाम लिए बिना कहा कि उनके बयानों को अनुचित महत्व दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि लोग उनकी टिप्पणियों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। एनसीपी चीफ ने संवाददाताओं से कहा, “हम ऐसे बयान देने वालों को अनुचित महत्व दे रहे हैं। हमें देखना होगा कि लोगों पर इस तरह के बयानों का क्या प्रभाव पड़ता है।” उन्होंने कहा, ”मेरी राय में, लोग (ऐसे बयानों को) गंभीरता से नहीं लेते हैं।” उन्होंने कहा, “वे (लोग) पुलिस के काम को जानते हैं। इसलिए हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है कि कोई क्या कहता है।”

बीएमसी कार्रवाई पर संजय निरूपम ने उठाए सवाल

इधर, कंगना के बांद्रा स्थित बंगले पर बीएमसी कार्रवाई पर कांग्रेस नेता संजय निरूपम ने सवाल खड़े किए हैं। संजय निरूपम ने ट्वीट करते हुए पूछा- “कंगना का ऑफिस अवैध था या उसे डिमॉलिश करने का तरीका ? क्योंकि हाई कोर्ट ने कार्रवाई को गलत माना और तत्काल रोक लगा दी। पूरा एक्शन प्रतिशोध से ओत-प्रोत था। लेकिन बदले की राजनीति की उम्र बहुत छोटी होती है। कहीं एक ऑफिस के चक्कर में शिवसेना का डिमॉलिशन न शुरु हो जाए!”

महाराष्ट्र के मंत्री की हिदायत- पचड़े में न पड़े कंगना

महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता नितिन राउत ने कंगना को हिदायत देते हुए कहा कि वो पचड़े में न पड़े। उन्होंने कहा- कंगना रनौत एक अभिनेत्री है, उनकी बयानबाजी को महत्व देना मुनासिब नहीं। उनको हिदायत देना चाहूंगा कि अपना काम अच्छे से करें, इस पचड़े में न पड़ें। महाराष्ट्र और मुंबई ने ही उन्हें शोहरत दी। जिस माटी ने उन्हें सम्मान दिया, उस माटी का इमान रखना चाहिए।

जाहिर है सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद कंगना रनाउत खुलकर सामने आई और भाई-भतीजावाद से लेकर ड्रग्स तक बॉलीवुड के काले सच में मुखर होकर बोलती रही। सुशांत की मौत पर लगातार कंगना के बोलने से मुंबई पुलिस की जांच को लेकर बैकफुट पर आई महाराष्ट्र सरकार को असहजता का सामना करना पड़ा था। इसके बाद से ही कंगना और शिवसेना के बीच यह तल्खी विवादों के रूप में बढ़ती गई।

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