बाबा रामदेव कोरोना की दवा बनाने का दावा कर बुरे फंसे हैं। वहीं बाबा रामदेव ने जिस नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (NIMS) के साथ मिलकर इस दवा पर रिसर्च का दावा किया है वो संस्थान भी सवालों के घेरे में है। यही नहीं, दवा के लॉन्च के मौके पर बाबा रामदेव ने जिस NIMS कुलाधिपति डाक्टर बीएस तोमर के साथ मंच साझा करते नजर आए उनके बारे में नए खुलासे हो रहें हैं।
बाबा रामदेव के बगल की कुर्सी पर बैठे डाक्टर बीएस तोमर का भी विवादों से पुराना नाता रहा है। डाक्टर बीएस तोमर के ऊपर बलात्कार के आरोप लग चुके हैं। रांची में उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। ये आरोप उनके यहां पढ़ने वाली एक लड़की ने ही लगाया था। यही नहीं इस संबंध में उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी। ये खबर खासी सुर्खियों में रही थी। वर्ष 2016 के सितंबर के पहले हफ्ते में डाक्टर बीएस तोमर को रांची पुलिस ने उनके जयपुर स्थित आवास से गिरफ्तार किया था।
यही नहीं NIMS यूनिवर्सिटी के ऊपर फर्जी डिग्रियां बांटने का आरोप भी लगता रहा है। इस संबंध में भी इस विश्वविद्यालय पर सवाल उठते रहें हैं।
NIMS के प्रबंधन को लेकर होने वाला झगड़ा भी राजस्थान और खासकर जयपुर के समाचार जगत में सुर्खियां बटोरता रहता है। डाक्टर बीएस तोमर और उनके परिवार के बीच यूनिवर्सिटी के प्रभुत्व को लेकर हमेशा से विवाद रहा है। हालात ये हुए हैं कि डाक्टर बीएस तोमर की पत्नी शोभा तोमर और उनके बेटे भी अलग अलग केस में गिरफ्तार हो चुके हैं।
इसके साथ ही डाक्टर बीएस तोमर पर जमीन के अवैध कब्जे का आरोप भी रहा है। यूनिवर्सिटी के बड़े हिस्से के लिए रामगढ़ ताल के कैचमेंट एरिया की जमीन कब्जा करने का आरोप भी रहा है।
गौरतलब है कि बीते मंगलवार को बाबा रामदेव ने कथित तौर पर कोरोना की एक दवा बनाने का दावा किया था। इस दवा के निर्माण के लिए हुए रिसर्च में NIMS की साझेदारी का दावा किया गया है। कथित तौर पर कोरोना की जो दवा बनाई गई है उसका लॉन्च बाबा रामदेव और डाक्टर बीएस तोमर ने साझा तौर पर किया था।