बिहार चुनाव के साथ 11 राज्यों के उपचुनाव में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद पार्टी में घमासान लगातार बढ़ता जा रहा है। वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के आत्मविश्लेषण वाले बयान पर पलटवार करते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने उन्हें नई पार्टी बना लेने या दल बदल लेने को कह दिया है। अधीर रंजन चौधरी ने दो टूक कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को यदि लगता है कांग्रेस सही पार्टी नहीं है तो वह नई पार्टी बना लें या फिर किसी और पार्टी में जाने के लिए आजाद हैं।
चौधरी ने कहा, ”वह (सिब्बल) एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं और उनकी पार्टी के बड़े नेताओं तक पहुंच है। सार्वजनिक रूप से इस तरह की शर्मनाक टिप्पणी करने की बजाय वह उनके साथ इन मुद्दों को उठा सकते हैं। यदि उन्हें लगता है कि कांग्रेस सही जगह नहीं है तो वह नई पार्टी बना सकते हैं या नई पार्टी को ज्वाइन करने को स्वतंत्र हैं।
चौधरी ने कहा, ”यदि वह बिहार और मध्य प्रदेश गए होते तो वह साबित कर सकते थे कि उनका कहना ठीक है और उन्होंने कांग्रेस को मजबूत किया। बिना कुछ किए बोलने के मतलब आत्मविश्लेषण नहीं होता है।” कांग्रेस में चौधरी अभी अकेले नहीं हैं, जिन्होंने सिब्बल पर निशाना साधा है। उनसे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी सिब्बल पर पलटवार किया था। गहलोत ने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को पार्टी के आंतरिक मुद्दों पर मीडिया में नहीं बोलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा था कि इससे देशभर के पार्टी कार्यकर्ताओं को दुख पहुंचा है।
कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने कहा कि बिहार चुनाव में हार के लिए पार्टी केंद्रीय नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है क्योंकि इसकी जिम्मेदारी प्रदेश इकाई की है। कांग्रेस की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने भी सिब्बल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह उनके साथ मिलकर प्रधानमंत्री नरेंद्र और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ लड़ाई लड़ें। भारतीय युवा कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने सिब्बल पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, ” जब समय अच्छा था तो आप संगठन को ‘ज्ञान’ देने वाले मंत्री थे, लेकिन तब भी राहुल गांधी जी न प्रधानमंत्री बने और न मंत्री। उस दौरान भी वह युवा कांग्रेस जैसे कांग्रेस के फ्रंटल संगठनों को मजबूत कर रहे थे।”
दरअसल, सिब्बल ने अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि ऐसा लगता है कि पार्टी नेतृत्व ने शायद हर चुनाव में पराजय को ही अपनी नियति मान लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि बिहार ही नहीं, उपचुनावों के नतीजों से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं। उधर, कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने सिब्बल के बयान से परोक्ष रूप से सहमति जताते हुए कहा कि यह कांग्रेस के लिए आत्मविश्लेषण, चिंतन और विचार-विमर्श करने का समय है।
गौरतलब है कि बिहार के हालिया विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की घटक कांग्रेस सिर्फ 19 सीटों पर सिमट गई, जबकि उसने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के सत्ता से दूर रह जाने का एक प्रमुख कारण कांग्रेस के इस निराशाजनक प्रदर्शन को भी माना जा रहा है। इसके अलावा कई राज्यों में हुए उपचुनावों में भी पार्टी को सफलता नहीं मिली।