कोरोना की वजह से वित्त वर्ष 2019—20 के टलकर जून 2020 तक कर देने की की चर्चा और भ्रम पैदा हुई. यह भ्रम सरकार के एक नोटिफिकेशन की वजह से हुआ. भारत में ​वित्त वर्ष की ब्रिटिश प्रणाली अपनाई गई है जो हर साल 1 अप्रैल से अगले साल के 31 मार्च तक होती है. इस तरह वित्त वर्ष 2019—20 का समय 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक है. कोरोना की वजह से वित्त वर्ष 2019—20 के टलकर जून 2020 तक कर देने की चर्चा अचानक सोमवार शाम को जोर पकड़ने लगी. यह भ्रम सरकार के एक नोटिफिकेशन की वजह से हुआ. आइए जानते हैं पूरा मामला और क्या है इसकी सच्चाई.

गौरतलब है कि कोरोना की वजह से इंडस्ट्री जगत की तरफ से पहले से ही यह मांग चल रही थी कि होने वाली असुविधा को देखते हुए वित्त वर्ष 2019—20 को टालकर जून 2020 तक कर दिया जाए. भारत में ​वित्त वर्ष की ब्रिटिश प्रणाली अपनाई गई है जो हर साल 1 अप्रैल से अगले साल के 31 मार्च तक होती है. इस तरह वित्त वर्ष 2019—20 का समय 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक है.

असल में सरकार द्वारा 30 मार्च को वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है जिसमें इंडियन स्टाम्प ऐक्ट में बदलाव की बात की गई है. यह मामला सिक्यूरिटी मार्केट यानी प्रतिभूति बाजार इंस्ट्रूमेंट ट्रांजैक्शन से जुड़ा है जो स्टॉक एक्सचेंज डिपॉजिटर्स से संबंधित है.

इस बारे में काफी चर्चा के बाद आखिर सरकार को सफाई देनी पड़ी. सरकार की तरफ से बयान जारी कर उस खबर को नकारा गया है जिसमें दावा किया जा रहा था कि वित्त वर्ष को 30 जून तक बढ़ाने का फैसला किया गया है. वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि इंडियन स्टाम्प ऐक्ट की तारीख में बदलाव को वित्त वर्ष में बदलाव कहा जा रहा जो गलत रिपोर्ट है.

वित्त मंत्रालय ने कहा कि इस बारे में चल रही खबरें पूरी तरह से गलत हैं और वित्त वर्ष में कोई बदलाव नहीं किया गया है.

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