ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) के एक रेजीडेंट डॉक्टर ने मरीज की जान बचाने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। उन्होंने तुरंत मरीज को इलाज मुहैया करवाने के लिए अपनी पीपीई किट भी हटा दी, क्योंकि जिस एंबुलेंस में मरीज को लाया गया था, उसमें वे पीपीई किट की वजह से ठीक से देख नहीं पा रहे थे। संक्रमण की आशंका के मद्देनजर डॉक्टर को ऐहतियातन 14 दिन के क्वारैंटाइन पीरियड में भेज दिया गया है।

शुक्रवार को डॉ. जाहिद अब्दुल मजीद को एक कोरोना संक्रमित को एम्स के ट्रॉमा सेंटर के आईसीयू में शिफ्ट करने के लिए बुलाया गया। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के रहने वाले अब्दुल मजीद अचानक आए इस बुलावे की वजह से अपना रोजा भी नहीं खोल पाए।

एम्स रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी डॉ. श्रीनिवास राजकुमार ने एक न्यूज वेबसाइट को बताया कि जब डॉ. अब्दुल मजीद अस्पताल पहुंचे तो एंबुलेंस में लेटे मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। डॉक्टर को आशंका थी कि दुर्घटनावश कहीं सांस लेने के लिए लगाई गई नली निकल ना जाए।

डॉ. अब्दुल मजीद ने तुरंत दोबारा नली लगाने का फैसला किया, क्योंकि अगर इसमें देर हो जाती तो मरीज की जान भी जा सकती थी। एंबुलेंस में डॉ. अब्दुल मजीद को कम रोशनी के कारण ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए उन्होंने अपनी पीपीई किट का चश्मा और फेस शील्ड तुरंत हटा दी।

डॉ. श्रीनिवास ने बताया कि डॉ. अब्दुल मजीद ने अपना फर्ज निभाने के लिए एक बार भी यह नहीं सोचा कि फेस शील्ड और चश्मा हटा देने से उनके खुद संक्रमित होने की आशंका बहुत ज्यादा बढ़ जाएगी।

डॉ.श्रीनिवास ने कहा कि देश के लोगों को यह समझना चाहिए हम सबका दुश्मन कोरोना है। हमें आपस में नहीं लड़ना चाहिए। हमें मरीजों, साथी कर्मचारियों, स्वास्थ्य सेवा देने वालों और हर एक इंसान के लिए सहानुभूति रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डॉ. अब्दुल मजीद अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित व्यक्ति हैं। हम सभी डॉक्टरों के समर्पण का तारीफ करते हैं और हर स्थिति में उनके साथ खड़े हैं।

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