चीन के अड़ियल रुख के चलते वास्तविक नियंत्रण रेखा पर टकराव घटने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले चार दिनों के दौरान हुई ब्रिगेडियर स्तर की मैराथन बैठकों के भी बेनतीजा रहने की खबर है। इसके चलते सेना ने अपना रुख आक्रामक रखने का फैसला किया है।

सेना से जुड़े सूत्रों ने कहा कि चीन ने पैंगोंग इलाके में पीछे हटने को लेकर भारत के समक्ष पहले ही कई शर्ते रख दी थी। लेकिन मौजूदा स्थिति में उसकी तरफ से यथास्थिति बहाली की मांग भारत से की जाने लगी है। दरअसल, भारत ने महत्वपूर्ण चोटियों पर पोजीशन ले रखी है जिससे चीन और भी बौखलाया हुआ है। वह चाहता है कि भारत अपनी पोजीशन बदले।

सेना से जुड़े सूत्रों के अनुसार, चीन को लेकर अब आने वाले दिनों में रुख आक्रामक रहेगा। अभी तक सिर्फ अपने बचाव की मुद्रा में सेना रहती थी। लेकिन बदली परिस्थितियों में सेना के रुख में बदलाव आया है। माना जा रहा है कि एलएसी पर लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक भारत ने किसी भी हालात से निपटने की तैयारियां पूरी कर ली हैं। इसलिए अब सेना की रणनीति इस बात पर होगी कि वह एलएससी पर मई से पहले की स्थिति बहाल करे।

चीन से तनातनी के बीच भारत-नेपाल सीमा पर संयुक्त गश्त

चीन से चल रही तनातनी के बीच 57वीं वाहनी एसएसबी ने मेलाघाट चौकी से लगती भारत-नेपाल सीमा पर नेपाल ऑर्म्ड पुलिस फोर्स (एपीएफ) के साथ मिलकर संयुक्त रूप से गश्त की। उच्च स्तर पर मिले निर्देशों के बाद नेपाल एपीएस को साथ लेकर करीब तीन किलोमीटर तक पेट्रोलिंग की गई। हालांकि, इस दौरान बॉर्डर पर हालात सामान्य मिले। भारत-चीन के बीच चल रही तनातनी के बीच नेपाल के क्षेत्र से किसी भी प्रकार की चीन की पैंतरेबाजी की कोशिश रोकने के लिए यह गश्त की गई।