कोरोना काल के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव किस तरह कराए जाएं इसको लेकर आयोग हर दिन ब्लूप्रिंट पर काम कर रहा है। आयोग ने चुनाव कराने के लिए जो नई संभावना तलाशी है उसमें मतदान के चरण कम किए जा सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो आयोग को लाखों मतदान कर्मियों की आवश्यकता पड़ेगी। चुनाव आयोग सोशल डिस्टेंसिंग के तहत मतदान केंद्रों पर अच्छे तरीके से वोटिंग करा सके इसके लिए तकरीबन 6 लाख मतदान कर्मी चाहिए।

सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए आयोग ने बिहार में 34000 अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाने का फैसला किया है। इन मतदान केंद्रों के बनने से राज्य में कुल वोटों की संख्या तकरीबन 1 लाख 6 हजार हो जाएगी और इन बूथों पर वोटिंग कराने के लिए 6 लाख से ज्यादा मतदान कर्मियों की आवश्यकता होगी। आयोग इन संभावनाओं पर विचार कर रहा है कि क्या अन्य राज्यों से कर्मियों को लाकर मतदान कराया जा सकता है। चुनावी प्रक्रिया के दौरान आयोग 10 फ़ीसदी मतदान कर्मियों को रिजर्व बेंच में रखता है।।एक बूथ पर औसतन 5 से 6 मतदान कर्मियों की आवश्यकता होती है इस लिहाज से बिहार में कम से कम 6 लाख मतदान कर्मी चाहिए।

आयोग के सामने संक्रमण काल में चुनाव को लेकर एक विकल्प यह है कि वह नवंबर में कम चरणों के अंदर वोटिंग कराए। बिहार में कोरोना संक्रमण के पीक टाइम की संभावना सितंबर और अक्टूबर जताई गई है। अगर ऐसा होता है तो अक्टूबर के बाद हालात सुधरने पर चुनाव कराए जा सकते हैं। आयोग अंतिम परिस्थितियों तक विधानसभा चुनाव संचालित करने का पुरजोर प्रयास करेगा। हालांकि यह आने वाला वक्त बताएगा कि कोरोना के आगे आयोग की तैयारी सफल होती है या फिर नहीं।