मोदी-नीतीश की शानदार रणनीति से लड़खड़ाया महागठबंधन, तीसरे चरण में ओवैसी ने खेल बिगाड़ा

बिहार में चुनावी पारा चरण दर चरण चढ़ता गया। पहले स्पेल (चरण) में अच्छी शुरुआत करने वाला महागठबंधन दूसरे चरण में नीतीश-मोदी की शानदार गेंदबाजी के आगे लड़खड़ाता दिखा। तीसरे में ओवैसी की गुगली ने महागठबंधन का रन रेट बिगाड़ दिया। फटाफट क्रिकेट की तर्ज पर हुए इस चुनावी मैच में बिहारी वोटरों की गुगली ने दर्शकों का रोमांच आखिरी ओवर तक बरकरार रखा। देर शाम दोनों पालों में ढोल-नगाड़े बजे तो एकबारगी लगा कि मैच कहीं सुपर ओवर की ओर तो नहीं बढ़ रहा। हालांकि, इसकी नौबत नहीं आई। दूसरे और तीसरे चरण के शानदार प्रदर्शन ने एनडीए को विजेता ट्रॉफी का हकदार बना दिया।

पहला चरण-71 सीट 

पहले चरण की 71 सीटों के लिए 28 अक्टूबर को मतदान हुआ था। इस चरण में भोजपुर, शाहाबाद और मगध का कुछ हिस्सा शामिल था। इस चरण में महागठबंधन और खासकर राजद ने शानदार प्रदर्शन किया। बीते चुनाव में जदयू के साथ होते हुए राजद ने इस चरण में 27 सीटें जीती थीं। मगर इस बार उसने 32 सीट जीतने में सफलता हासिल की। माले भी एक सीट से बढ़कर सात पर जा पहुंचा। जदयू को नुकसान हुआ तो भाजपा को भी पिछली बार 13 की तुलना में एक कम सीट पर संतोष करना पड़ा। रोहतास, बक्सर, जहानाबाद, अरवल में महागठबंधन ने एकतरफा जीत हासिल की। आरा की सात में से पांच सीटें महागठबंधन को तो दो सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की। जबकि गया की 10 सीटों में से दोनों गठबंधन को आधी-आधी मिलीं। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के लिए यह चरण बेहतर रहा। पार्टी अध्यक्ष जीतनराम मांझी सहित तीन प्रत्याशी जीत गए। वहीं चकाई सीट पर सूबे के एकमात्र निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सुमित कुमार ने जीत का सेहरा पहना। पिछले चुनाव में रालोसपा के ललन पासवान ने चेनारी सीट से जीत दर्ज की थी। फिर वो जदयू में चले गए थे और इस बार उन्हें कांग्रेस के हाथों हार मिली।

दूसरा चरण-94 सीट

दूसरे चरण की 94 सीटों के लिए तीन नवंबर को मतदान हुआ था। इस चरण में मिथिलांचल और चंपारण का कुछ हिस्सा, सारण, पटना, बेगूसराय, भागलपुर, समस्तीपुर सहित कई अन्य इलाके शामिल थे। दूसरे चरण की सीटों को देखें तो इसमें एनडीए खासकर भाजपा का प्रदर्शन शानदार रहा। पिछले चुनाव की 20 सीटों की तुलना में इस बार भाजपा ने 32 सीटों पर जीत दर्ज की। हालांकि, जदयू अपने 30 के पुराने आंकड़े पर नहीं पहुंच सका। वहीं एनडीए में शामिल और पहली बार विधानसभा चुनाव में उतरी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को इस चरण में तीन सीट जीतने में सफलता मिली। अब इसे महागठबंधन के नजरिए से देखें तो राजद और कांग्रेस को इस चरण में तीन-तीन सीट का नुकसान हुआ। वाम दल जरूर एक से बढ़कर सात सीटों पर पहुंच गए। सारण में राजद का प्रदर्शन शानदार रहा। वहीं चंपारण के हिस्से में भाजपा और एनडीए ने बेहतरीन प्रदर्शन किया।

तीसरा चरण-78 सीट

तीसरे और अंतिम चरण में 78 सीटें शामिल थीं। इनके लिए मतदान सात नवंबर को संपन्न हुआ था। इसमें कोसी और सीमांचल के अलावा मिथिलांचल का भी कुछ हिस्सा शामिल था। एनडीए को सत्ता की चाबी सौंपने में सबसे अहम भूमिका इसी चरण ने निभाई। अंतिम चरण की 78 में से 52 सीटों पर एनडीए ने जीत हासिल की, जबकि महागठबंधन सिर्फ 21 सीटों पर सिमट गया। इस चरण में ओवैशी की पार्टी एआईएमआईएम तीसरी शक्ति बनकर उभरी। ओवैशी ने न केवल पांच सीटों पर जीत दर्ज की बल्कि करीब दो दर्जन से अधिक सीटों पर माय समीकरण को प्रभावित किया। इस चरण में 2015 की तुलना में राजद को सात तो कांग्रेस को पांच सीटें गंवानी पड़ीं। भाकपा माले जरूर एक से बढ़कर दो सीट जीतने में सफल रहा। वहीं भाजपा की सीटें 20 से बढ़कर 30 हो गईं। जबकि जदयू ने भी इस चरण में बेहतर प्रदर्शन करते हुए 21 सीटें जीतीं। वीआईपी का भी इस इलाके में खाता खुल गया।

यह रही दलवार स्थिति

एनडीए-125

भाजपा-74

जदयू-43

वीआईपी-04

हम-04

महागठबंधन-110

राजद-75

कांग्रेस-19

वामदल-16

अन्य

एआईएमआईएम-05

लोजपा-01

बसपा-01

निर्दलीय-01

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