हाथरस गैंगरेप : बिटिया तुम्हारी हिम्मत को दाद, मौत की आंखों में आखें डालकर जीतने की कोशिश में हार गई जंग 

15 दिन तक जिदंगी और मौत के बीच झूलती रही हाथरस की बेटी की मौत गले और रीढ़ की हड्डी की घातक चोट के कारण हुई। मजबूती के साथ मौत की आंखों में आखें डालकर जीने वाली युवती को आखिरकर जिदंगी ने आखिर में आकर दगा दे ही दिया। बिटिया की हम्मित देखकर मेडिकल कालेज के डाक्टर भी हतप्रभ थे।

उस बेटी की हिम्मत की दाद है। पीठ में इस कदर चोट कि हिला भी न जाए। शरीर का सपोर्ट सिस्टम यानि रीढ़ की हड्डी में आघात ऐसा कि गर्दन तक असर। इसके बावजूद वह हिम्मती बेटी 15 दिन तक मौत से जूझती रही। लेकिन उसका हौसला काबिल ए तारीफ है। पीड़िता के पीठ में रीढ़ की हड्डी में दो जगह चोट थी। बाए कंधे के नीचे की ओर भी चोट लगी थी। शायद जमीन पर गिरने से कूल्हे पर भी आघात लगा था। यह सब उसकी मेडिकल रिपोर्ट में हैं।

ये तो वो जख्म हैं जो बिटिया के शरीर पर दिख रहे थे। मशीनी या डॉक्टरी जांच में सामने आ रहे थे, लेकिन उसके मन मस्तष्कि में जो असहनीय पीड़ा थी, शायद उसे मेडिकल साइंस भी न समझ पाए। मेडिकल रिपोर्ट की मानें तो युवती के शरीर के अगले अहम हस्सिों में कोई चोट नहीं मिली। चेहरा, दांत, नाक, कान, कलाई, हाथ, घुटने, टखने, सीने, पैर पर मेडिकल जांच में कोई चोट दिखाई नहीं दी। अलीगढ़ के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी एंड ट्रॉमा सेंटर में युवती की चिकत्सिकीय जांच के दौरान बड़ी चोट शरीर पर सामने की ओर नहीं दिखाई दी। जानकार बताते हैं कि रीढ़ की हड्डी में चोट लगने से नसों पर दबाव बढ़ता है। दिमाग तक पूरी तरह सग्निल नहीं पहुंच पाते हैं। यही कारण है कि धीरे-धीरे उसकी हालत खराब होती चली गई।

कटी नहीं, दांतों के बीच आई जीभ : डीएम

हमले के दौरान युवती की जीभ नहीं कटी, बल्कि गला दबने के कारण दांतों के बीच में आ गई थी। जीभ पर दांत के निशान बन गए थे। कुछ समय बोलने में परेशानी हुई, लेकिन बाद में सही हो गईथी। दरअसल घटना के दौरान युवती के जीभ काटने की खबर सोशल मीडिया पर चलाईजा रही थी। इस पर डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार ने अपने आवास पर हुई बातचीत में बताया कि ऐसा नहीं है। गला दबने से अक्सर जीभ दांतों के बीच आ जाती है। ऐसा ही इस युवती के साथ हुआ, लेकिन वो बोल पा रही थी। उसी ने खुद अपने बयान सीओ को दर्ज कराए थे।

 

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