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जन्मदिन पर अर्नब केस की सुनवाई…जस्टिस चंद्रचूड़ बोले- फैसला करना मेरी जिंदगी, बर्थडे मनाने का यह बेहतर तरीका

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जन्मदिन पर अर्नब केस की सुनवाई…जस्टिस चंद्रचूड़ बोले- फैसला करना मेरी जिंदगी, बर्थडे मनाने का यह बेहतर तरीका

अर्नब गोस्वामी की जमानत याचिका सुनवाई करने वाले जज डी. वाई.चंद्रचूड़ का कल यानी बुधवार को जन्मदिन था। अपने जन्मदिन के मौके पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने अर्नब गोस्वामी केस में दिन भर चली लंबी सुनवाई के बाद कहा कि मामलों में फैसला करना ‘मेरी जिंदगी है’ और ‘मैं इससे प्यार करता हूं’। बुधवार को 61 वर्ष के हुए न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे की टिप्पणी पर जवाब दे रहे थे, जिन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज में कहा कि जन्मदिन मनाने के लिए यह ‘खराब दिन’ था।

रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी की तरफ से पेश हुए वकील हरीश साल्वे ने सुनवाई के बिल्कुल अंत में उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं और कहा कि सुनवाई में पूरा दिन लग गया। इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘नहीं, नहीं। इसे बिताने का वास्तव में यह बेहतर तरीका है। मैं फैसला देने के लिए अदालत में हूं और यह मेरी जिंदगी है और मैं इससे प्यार करता हूं।’

अर्नब मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी: वैचारिक मतभिन्नता के कारण निशाना बनाना गलत

इस अवसर पर बधाई देने के लिए उन्होंने सभी वकीलों को धन्यवाद दिया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ नौ नवंबर 2022 को भारत के प्रधान न्यायाधीश बनेंगे और दस नवंबर 2024 तक इस पद पर बने रहेंगे। पीठ में न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी भी थीं। पीठ ने बुधवार को गोस्वामी और दो अन्य को आत्महत्या के लिए उकसाने के 2018 के मामले में अंतरिम जमानत दे दी।

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 के आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अर्नब गोस्वामी को बुधवार को अंतरिम जमानत दे दी और कहा कि अगर व्यक्तिगत स्वतंत्रता बाधित की जाती है तो यह न्याय का उपहास होगा। शीर्ष अदालत ने विचारधारा और मत भिन्नता के आधार पर लोगों को निशाना बनाने के राज्य सरकारों के रवैये पर गहरी चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिये उच्चतम न्यायालय है।

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शीर्ष अदालत ने अर्नब गोस्वामी के साथ ही इस मामले में दो अन्य व्यक्तियों-नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख-को भी 50-50 हजार रुपए के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया। पीठ ने इन्हें यह निर्देश भी दिया कि वे साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और जांच में सहयोग करेंगे।

पीठ ने अपने तीन पेज के आदेश में कहा कि बंबई उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में गोस्वामी और इन दो व्यक्तियों की अंतरिम जमानत की अर्जी अस्वीकार करना ‘गलत था।’

शीर्ष अदालत उच्च न्यायालय के नौ नवंबर के फैसले के खिलाफ दायर अपीलों पर सुनवाई कर रही थी। उच्च न्यायालय ने गोस्वामी सहित सभी को अंतरिम जमानत देने का अनुरोध अस्वीकार कर दिया था। रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी ने बंबई उच्च न्यायालय के नौ नवंबर के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उन्हें और दो अन्य आरोपियों को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुये कहा गया था कि उन्हें राहत के लिये निचली अदालत जाना होगा।

गोस्वामी और अन्य आरोपियों को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले की अलीबाग पुलिस ने चार नवंबर को इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां को 2018 में आत्महत्या के लिये उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इन पर आरोप है कि उनकी कंपनियों ने बकाया राशि का भुगतान नहीं किया था। गोस्वामी को मुंबई में उनके निवास से गिरफ्तार करके पड़ोसी जिले रायगढ़ के अलीबाग ले जाया गया था।

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